एफडीए ने ट्रंप को दी गई एंटीबॉडी दवाई के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी

एफडीए ने ट्रंप को दी गई एंटीबॉडी दवाई के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी

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  • Publish Date - November 22, 2020 / 07:33 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:54 PM IST

वाशिंगटन, 22 नवंबर (भाषा) अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कोविड-19 से लड़ने में प्रतिरोधक प्रणाली को मदद करने वाली एक ऐसी एंटबॉडी दवाई के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है, जिसे पिछले महीने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद दिया गया था। इससे पहले एक और दवाई के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी।

खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने रेजेनेरॉन फार्मास्यूटिकल्स इंक की दवाई के इस्तेमाल की मंजूरी इस कोशिश के तौर पर दे दी कि हल्के से मध्यम लक्षण वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने जैसी स्थिति या फिर उनकी हालत बिगड़ने से बचाया जा सके।

एफडीए ने इस दवाई का इस्तेमाल व्यस्क एवं 12 साल के बच्चों या उससे ज्यादा उम्र के उन लोगों पर करने की अनुमति दे दी जिनका वजन कम से कम 40 किलोग्राम है और वे जो उम्र या अन्य चिकितस्कीय स्थितियों की वजह से गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं।

आपात स्थिति में इस दवाई के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है लेकिन अब भी इसकी सुरक्षा और इसकी प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए अध्ययन चल रहा है। प्रांरभिक परिणामों से पता चला है कि यह दवाई कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती होने या गंभीर खतरे वाले मरीजों के आपात कक्ष में भर्ती पर रोक लगा सकती है।

रेजेनेरॉन ने कहा कि प्रारंभिक खुराक करीब 300,000 मरीजों के लिए संघीय सरकार आवंटन कार्यक्रम के जरिए उपलब्ध होगी। मरीजों को इस दवाई का शुल्क नहीं देना होगा लेकिन उन्हें इस दवा देने के तरीके पर खर्च करना पड़ सकता है।

इससे पहले एफडीए ने एली लिली की एंटीबॉडी दवाई को आपात मंजूरी दी थी और इस दवाई से जुड़ा अध्ययन भी अभी चल ही रहा है।

इस बात का पता करने का भी कोई जरिया नहीं है कि ट्रंप के स्वस्थ होने में रेजेनेरॉन ने मदद की या नहीं । उन्हें कई तरह का इलाज दिया गया था और यह बात भी रेखांकित करने लायक है कि ज्यादातर कोविड-19 मरीज खुद ही ठीक हो जाते हैं।

किसी भी सामान्य समय में एफडीए से मंजूरी पाने के लिए किसी भी दवाई के सुरक्षित और प्रभावी होने के ‘पर्याप्त सबूत’ देने होते हैं लेकिन आपात स्थिति के दौरान यह एजेंसी अपने उन मानकों को थोड़ा कमतर कर सकती है और इसमें प्रायोगिक उपचार के संभावित लाभों को दिखाना पड़ता है, जो खतरे को कम करता हो।

एपी स्नेहा नरेश

नरेश