एफटीए से भारत, ब्रिटेन के बीच कानूनी संबंध मजबूत हुए: सीजेआई गवई

एफटीए से भारत, ब्रिटेन के बीच कानूनी संबंध मजबूत हुए: सीजेआई गवई

एफटीए से भारत, ब्रिटेन के बीच कानूनी संबंध मजबूत हुए: सीजेआई गवई
Modified Date: June 5, 2025 / 09:31 pm IST
Published Date: June 5, 2025 9:31 pm IST

(अदिति खन्ना)

लंदन/नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और ब्रिटेन का समृद्ध कानूनी इतिहास साझा है, जो समान कानून के सिद्धांतों पर आधारित है और पिछले महीने संपन्न द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से यह संबंध और मजबूत हुआ है।

भारत-ब्रिटेन वाणिज्यिक विवादों की मध्यस्थता पर आयोजित तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ‘भारत-ब्रिटेन मध्यस्थता प्रथाओं में समन्वय’ विषय पर उद्घाटन भाषण देते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि कानूनी क्षेत्र में दोनों देशों के बीच गहन सहयोग से व्यापार को लाभ होगा।

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विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने मुख्य भाषण में भारत को सिंगापुर और लंदन की तरह ‘‘एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ के रूप में स्थापित करने के लिए देश में किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘भारत और ब्रिटेन का समृद्ध इतिहास साझा है, जो समान कानूनी विरासत से जुड़ा है तथा सामान्य कानून के सिद्धांतों पर आधारित है।’’

उन्होंने कहा कि भारत एक प्रगतिशील विधायी ढांचे, प्रवर्तन समर्थक न्यायपालिका और मजबूत संस्थागत समर्थन का निर्माण करके अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बनने की निरंतर आकांक्षा रखता है।

प्रधान न्यायाधीश ने जुलाई 2018 में हस्ताक्षरित भारत-ब्रिटेन समझौता ज्ञापन (एमओयू) का उल्लेख किया, जिसके कारण दोनों देशों के बीच कानून और न्याय संबंधी जुड़ाव बढ़ा और विवाद समाधान, प्रशिक्षण और कानूनी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में अधिक सहयोग और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान का मार्ग प्रशस्त हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने से यह संबंध और मजबूत हुआ है। द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए मंच तैयार हो गया है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने वैश्विक स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करने का स्वागत किया, क्योंकि इस तरह के कदम भारतीय कानूनी पारिस्थितिकी तंत्र को उपलब्ध कराएंगे और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता परिदृश्य में भारतीय वकीलों की क्षमता का पूरा उपयोग करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि किसी भी वाणिज्यिक गतिविधि की तरह, विवाद भी प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है, लेकिन जो बात वास्तव में महत्वपूर्ण है, वह इन विवादों को कुशलतापूर्वक हल करने की क्षमता और प्रतिबद्धता है।

उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरीके से हम विवादों का समाधान करते हैं, वही हमारे वाणिज्यिक संबंधों की मजबूती और लचीलेपन को परिभाषित करता है।’’

उन्होंने कहा कि इस तरह की रूपरेखा यह सुनिश्चित करती है कि असहमति से विश्वास कम न हो या प्रगति में बाधा न आए, बल्कि यह रचनात्मक सहभागिता के अवसर में बदल जाए, जिससे व्यापारिक संबंधों में दीर्घकालिक सहयोग और स्थिरता को बढ़ावा मिले।

मेघवाल ने भारत-ब्रिटेन एफटीए को एक ‘‘ऐतिहासिक मील का पत्थर’’ बताया, जिससे 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होने का अनुमान है।

उन्होंने कहा, ‘‘एफटीए प्रौद्योगिकी, विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स और सेवाओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अधिक निवेश, नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विकसित भारत’ दृष्टिकोण का एक प्रमुख स्तंभ व्यापार अनुकूल माहौल तैयार करना है और इसके समर्थन के लिए एक विवाद समाधान प्रणाली का होना आवश्यक है, जो त्वरित, विश्वसनीय और लागत प्रभावी हो…भारत को मध्यस्थता का वैश्विक केंद्र बनाने के लक्ष्य के साथ इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार पेश किए गए हैं।’’

भाषा

देवेंद्र सुरेश

सुरेश


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