ट्रंप ने अगर रुख नहीं बदला तो वह भारत को खो देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बन जाएंगे: अमेरिकी सांसद
ट्रंप ने अगर रुख नहीं बदला तो वह भारत को खो देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बन जाएंगे: अमेरिकी सांसद
(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन, 11 दिसंबर (भाषा) अमेरिका की एक सांसद ने कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत के प्रति नीतियां रणनीतिक भरोसे और पारस्परिक समझ को “वास्तविक व स्थायी नुकसान” पहुंचा रही हैं। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को हुए नुकसान को कम करने के लिए वॉशिंगटन को ‘अविश्वसनीय तत्परता’ के साथ कदम उठाने होंगे।
कैलिफॉर्निया से डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद सिंडी कमलागर-डोव ने कहा “…अगर ट्रंप अपनी नीति में बदलाव नहीं करते, तो वह भारत को खो देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बन जाएंगे। और ज्यादा साफतौर पर कहा जाए तो जिन्होंने भारत को दूर कर दिया जबकि रूसी साम्राज्य को सशक्त किया। उन्होंने ट्रांसअटलांटिक गठबंधन को तोड़ा है और लातिन अमेरिका को खतरे में डाला है। यह वह विरासत नहीं है जिसपर किसी राष्ट्रपति को गर्व होना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “जब इतिहास की किताबें लिखी जाएंगी और बताया जाएगा कि भारत के प्रति ट्रंप की शत्रुता कहां से शुरू हुई, तो वे किसी ऐसी चीज की ओर इशारा करेंगी जिसका हमारे दीर्घकालिक रणनीतिक हितों से कोई लेना-देना नहीं है। यह चीज है उनका नोबेल शांति पुरस्कार को लेकर व्यक्तिगत जुनून। यह भले ही हास्यास्पद हो, लेकिन इसका जो नुकसान होगा, उसे बिल्कुल भी हल्के में नहीं लिया जा सकता।”
ट्रंप ने कहा है कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए क्योंकि उन्होंने दुनिया भर में संघर्षों को समाप्त किया, जिसमें मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ संघर्ष भी शामिल है।
कमलागर-डोव संसद की दक्षिण और मध्य एशिया विदेश मामलों की उप समिति की बैठक में ‘यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप: सिक्योरिंग अ फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक’ विषय पर संबोधन दे रही थीं।
कमलागर-डोव ने भारत के प्रति ट्रंप की नीतियों की आलोचना की। इन नीतियों में भारत पर दुनिया में सबसे अधिक 50 प्रतिशत शुल्क लगाना, एच1बी वीज़ा पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाना शामिल है। बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिका में रहने और काम करने के लिए एच1बी वीजा का उपयोग करते हैं।
उन्होंने कहा कि ट्रंप की नीतियों से “वास्तविक व स्थायी नुकसान” हो रहा है और देश को ‘अविश्वसनीय तत्परता’ के साथ इस नुकसान को कम करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।
भाषा जोहेब पवनेश
पवनेश

Facebook



