कोरियाई अदालत ने जापानी कंपनियों के खिलाफ बंधुआ मजदूरी का दावा खारिज किया

कोरियाई अदालत ने जापानी कंपनियों के खिलाफ बंधुआ मजदूरी का दावा खारिज किया

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  • Publish Date - June 7, 2021 / 11:12 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

सोल, सात जून (एपी) दक्षिण कोरिया की एक अदालत ने दर्जनों श्रमिकों और उनके रिश्तेदारों के उस दावे को सोमवार को खारिज कर दिया जिसमें कोरिया के औपनिवेशिक कब्जे के दौरान बंधुआ मजदूरी को लेकर 16 जापानी कंपनियों से मुआवजे की मांग की गयी थी।

सोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का यह फैसला 2018 के देश के उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ प्रतीत होता है जिसमें निप्पॉन स्टील और मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज को कोरिया के बंधुआ मजदूरों को मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।

यह फैसला काफी हद तक जापानी सरकार के उस रुख के अनुरूप है जिसमें जोर दिया जाता है कि दोनों देशों के बीच के संबंधों को सामान्य बनाने वाली 1965 की संधि के तहत सभी युद्धकालीन मुआवजों के मुद्दों को सुलझाया लिया गया था।

कुल 85 वादियों ने निप्पॉन स्टील, निसान केमिकल और मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज सहित 16 जापानी कंपनियों से संयुक्त रूप से 8.6 अरब वॉन (77 करोड़ अमेरिकी डालर) मुआवजे की मांग की थी। वॉन दक्षिण कोरियाई मुद्रा है।

अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि 1965 की संधि के लागू होने के बाद दक्षिण कोरियाई नागरिक युद्धकालीन शिकायतों को लेकर जापानी सरकार या नागरिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते। अदालत ने कहा कि वादियों के दावे को मंजूरी देने से अंतरराष्ट्रीय कानूनी सिद्धांतों का उल्लंघन होगा और कोई भी देश किसी संधि का पालन नहीं करने के लिए घरेलू कानून का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

एपी अविनाश नरेश

नरेश