अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए देश और इसके आस-पास अमन होना आवश्यक: जयशंकर

अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए देश और इसके आस-पास अमन होना आवश्यक: जयशंकर

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  • Publish Date - March 30, 2021 / 11:02 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:20 PM IST

दुशांबे, 30 मार्च (भाषा) भारत ने अफगानिस्तान में हिंसा एवं रक्तपात पर ‘‘गंभीर चिंता’’ जताते हुए मंगलवार को कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए देश के भीतर और इसके आस-पास शांति होना आवश्यक है।

भारत ने वार्ता के पक्षकारों से कहा कि वे अच्छी नीयत के साथ और किसी राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता के साथ बातचीत करें।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में यहां नौवें ‘हार्ट ऑफ एशिया’ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अंतर अफगान वार्ता सहित अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने की दिशा में सभी प्रयासों का समर्थक रहा है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए हमें सच्चे अर्थों में ‘दोहरी शांति’ यानी अफगानिस्तान के भीतर और इसके आस-पास अमन की आवश्यकता है। इसके लिए देश के भीतर और इसके आस-पास सभी के हित समान होने आवश्यक हैं।’’

इस सम्मेलन में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और अन्य नेताओं ने भी भाग लिया।

जयशंकर ने कहा, ‘‘यदि शांति प्रक्रिया को सफल बनाना है, तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि वार्ता कर रहे पक्ष अच्छी नीयत के साथ और किसी राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता के साथ बातचीत करें।’’

जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में होने वाली हर घटना का पूरे क्षेत्र पर निश्चित ही असर पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि वार्ता में भले ही काफी कुछ दांव पर है, लेकिन इससे निकलने वाले परिणाम बहुत महत्वपूर्ण होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘एक स्थिर, सम्प्रभु और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान वास्तव में हमारे क्षेत्र में शांति एवं प्रगति का आधार है, इसलिये सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह आतंकवाद, हिंसक कट्टरपंथ, मादक पदार्थों एवं आपराधिक गिरोहों से मुक्त हो।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘हम आज एक ऐसा समावेशी अफगानिस्तान बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो दशकों के संघर्ष से पार पा सके, लेकिन ऐसा तभी संभव होगा, यदि हम उन सिद्धांतों के प्रति ईमानदार रहें, जो ‘हार्ट ऑफ एशिया’ का लंबे समय से हिस्सा रहे हैं। सामूहिक सफलता भले ही आसान नहीं हो, लेकिन इसका विकल्प केवल सामूहिक असफलता है।’’

अफगानिस्तान सरकार और तालिबान 19 साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए सीधे वार्ता कर रहे हैं। इस युद्ध में हजारों लोगों की जान चली गई और देश के कई हिस्से तबाह हो गए। भारत अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता के प्रयासों में बड़ा भागीदार रहा है।

जयशंकर ने अफगानिस्तान में स्थिति पर ‘‘गंभीर चिंता जताते’’ हुए कहा कि वादे चाहे जो भी किये गए हों, लेकिन हिंसा एवं खून-खराबा दैनिक वास्तविकता हैं और संघर्ष में कमी के बहुत कम संकेत दिख रहे हैं ।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘2021 में भी स्थिति बेहतर नहीं हुई है। अफगानिस्तान में विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी खास तौर पर परेशान करने वाली है।’’

उन्होंने कहा कि ऐसे में ‘हार्ट आफ एशिया’ के सदस्यों एवं इसका समर्थन करने वाले देशों को हिंसा में तत्काल कमी लाने के लिये दबाव बनाने को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि स्थायी और समग्र संघर्षविराम हो सके।

अफगानिस्तान पाकिस्तान पर आतंकवादियों को पनाहगाह देकर आतंकवाद एवं हिंसा को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है।

जयशंकर ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में स्थायी एवं समग्र संघर्ष विराम तथा सच्चे अर्थों में राजनीतिक समाधान की दिशा में हर कदम का स्वागत करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में होने वाली क्षेत्रीय प्रक्रिया का समर्थन करता है।’’

जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में पिछले दो दशक में हुई उल्लेखनीय प्रगति वह लोकतांत्रिक रूपरेखा है, जिसके तहत चुनाव कराए गए।

उन्होंने कहा , ‘‘हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जो न केवल अफगानिस्तान के लोगों के लिये बल्कि हमारे वृहद क्षेत्र के लिये भी महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान और इस वृहद क्षेत्र में जो कुछ घटित हो रहा है, उसे देखते हुए हमें ‘हार्ट आफ एशिया’ शब्दावली को हल्के में नहीं लेना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में आम लोगों को निशाना बनाकर उनकी हत्या किए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं और 2019 की तुलना में 2020 में नागरिकों की मौत के मामलों में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

उन्होंने कहा कि भारत परिवर्तन के इस दौर में अफगानिस्तान का पूरी तरह से समर्थन करने को प्रतिबद्ध है और उसने अफगानिस्तान के विकास में तीन अरब डॉलर का योगदान दिया है।

उन्होंने कहा कि काबुल के लिए और पेयजल का वादा भी इस सूची में शामिल है।

जयशंकर ने कहा कि हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया (एचओए-आईपी) के तहत व्यापार, वाणिज्य एवं निवेश सीबीएम में अग्रणी देश होने के नाते भारत अफगानिस्तान की बाहरी दुनिया के साथ कनेक्टविटी (संपर्क सुविधा) सुधारने के लिए काम करना जारी रखेगा।

जयशंकर ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत स्पष्ट रूप से ऐसा सम्प्रभु, लोकतांत्रिक और समावेशी अफगानिस्तान देखना चाहता है जो अपने देश के अल्पसंख्यकों का ख्याल रखता हो।

भाषा सिम्मी माधव

माधव