माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई 8848.86 मीटर: नेपाल और चीन ने किया ऐलान

माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई 8848.86 मीटर: नेपाल और चीन ने किया ऐलान

माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई 8848.86 मीटर: नेपाल और चीन ने किया ऐलान
Modified Date: November 29, 2022 / 08:11 pm IST
Published Date: December 8, 2020 3:39 pm IST

(शिरीष प्रधान और के. जे. एम. वर्मा)

काठमांडू/बीजिंग, आठ दिसंबर (भाषा) नेपाल और चीन ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई संयुक्त रूप से दोबारा मापने के बाद मंगलवार को कहा कि विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी 86 सेंटीमीटर अधिक ऊंची है। उन्होंने माउन्ट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848.86 मीटर मापी।

उल्लेखनीय है कि छह दशक पहले भारत ने 1954 में एवरेस्ट की ऊंचाई मापी थी।

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माउंट एवरेस्ट की संशोधित ऊंचाई सामने आने के बाद दो पड़ोसी देशों के बीच दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी को लेकर दशकों पुराने विवाद का अंत हो गया।

भारत में ब्रिटिश सर्वेक्षणकर्ताओं ने 1847 में इस पर्वत चोटी की ऊंचाई 8,778 मीटर मापी थी और तभी से इसकी ऊंचाई विवादास्पद रही है।

उस समय माउंट एवरेस्ट को ‘पीक 15’ कहा जाता था।

एवरेस्ट, चीन और नेपाल की सीमा के बीच है और पर्वतारोही इस पर दोनों ओर से चढ़ते हैं।

नेपाल सरकार ने एवरेस्ट की सटीक ऊंचाई मापने का निर्णय लिया था क्योंकि 2015 में आए भूकंप तथा अन्य कारणों से चोटी की ऊंचाई में बदलाव की अटकलें लगाई जा रही थीं।

डिजिटल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में नेपाली और चीनी विदेश मंत्रियों ने एवरेस्ट की संशोधित ऊंचाई की घोषणा की।

इस आयोजन में नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अपने राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा लिखे गए पत्रों को पढ़ा।

ग्यावली ने कहा, “यह ऐतिहासिक दिन है। माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई 8848.86 मीटर है।”

इसके बाद वांग ने भी यही दोहराया।

इससे पहले भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा 1954 में एवरेस्ट की ऊंचाई 8,848 मीटर मापी गई थी जो नई ऊंचाई के मुकाबले 86 सेंटीमीटर कम थी।

त्रिकोणमिति विधि द्वारा यह सर्वेक्षण बिहार से किया गया था।

काठमांडू पोस्ट की खबर के अनुसार यह भारत द्वारा किया गया तीसरा सर्वेक्षण था।

इसके बाद चीन ने 1975 में एवरेस्ट की ऊंचाई 8848.11 मीटर मापी थी और 1987 से उपग्रह विधि से इटली ने इस पर्वत चोटी की ऊंचाई 8,872 मीटर मापी थी।

हाल ही में किया गया संयुक्त सर्वेक्षण इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन और नेपाल के बीच 2018 में एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर मतभेद पैदा हो गया था।

चीन और नेपाल के बीच की सीमा एवरेस्ट से होकर गुजरती है और दोनों देशों ने 1961 में सीमा विवाद सुलझा लिया था।

वर्ष 1950 में तिब्बत पर कब्जा करने के बाद बीजिंग ने पूरे एवरेस्ट पर अपना अधिकार छोड़ दिया था जिसके बाद दोनों देशों के बीच हुए सीमा समझौते में माउंट एवरेस्ट की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

राष्ट्रपति शी ने अपने पत्र में कहा कि चीन और नेपाल पिछले साल एवरेस्ट की ऊंचाई मापने के संयुक्त प्रयास पर सहमत हुए।

उन्होंने कहा कि एक साल से भी अधिक समय तक दोनों देशों के सर्वेक्षण दलों ने सभी प्रकार की बाधाओं को पार कर काम किया और अंततः पर्वत चोटी की ऊंचाई का पता लगाया।

चीन के सरकारी मीडिया शिन्हुआ की खबर के अनुसार शी ने कहा कि माउंट एवरेस्ट चीन और नेपाल के पारंपरिक संबंधों का महत्वपूर्ण प्रतीक है।

भाषा यश दिलीप

दिलीप


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