Poland removes four memorials to Communist-era 'RedArmy'

सैनिकों को समर्पित ये चार स्मारक हटाया गए, इस वजह से लिया बड़ा फैसला…

Poland Soviet Monument: स्मारक को तोड़ने के लिए जब श्रमिक तैयार थे, तो नावरोकी ने कहा, ‘‘ यह अपमान का स्मारक है, यह पीड़ितों पर विजेताओं की अवमानना का स्मारक है।’’उन्होंने कहा कि पूर्व सोवियत संघ ने आजादी नहीं दी, उन्होंने पोलैंड को बंदी बनाया। दक्षिण-पश्चिम में बायकजिनम, उत्तर-पश्चिम में बोबोलिस और दक्षिण में स्टैजो के पास से स्मारक हटाये गये।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : October 27, 2022/4:51 pm IST

वारसा। Poland Soviet Monument: पोलैंड ने बृहस्पतिवार को कम्युनिस्ट युग की ‘रेड आर्मी’ के सैनिकों को समर्पित चार स्मारकों को नष्ट कर दिया। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद मॉस्को के दबदबे के प्रतीकों को हटाने के नवीन अभियान और पड़ोसी देश यूक्रेन के खिलाफ रूस के ताजा युद्ध की आलोचना पर ज्यादा जोर देने के लिए ऐसा किया गया।

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कंक्रीट से बने चतुष्कोणीय स्तंभ के रूप में थे स्मारक

Poland Soviet Monument: बता दे कि पोलैंड में चार अलग-अलग स्थानों पर वर्ष 1945 के स्मारकों को नष्ट करने के लिए श्रमिकों ने ड्रिल मशीन और भारी उपकरणों का इस्तेमाल किया। ये स्मारक कंक्रीट से बने चतुष्कोणीय स्तंभ के रूप में थे। स्मारकों को हटाने के लिए राज्य ऐतिहासिक संस्थान के प्रमुख कारोल नावरोकी को बुलाया गया था। नावरोकी ने कहा कि ये स्मारक एक ऐसी प्रणाली के प्रतीक थे जो अपने लोगों के अलावा पौलैंड वासियों और अन्य देशों के नागरिकों को दास बनाने और उनकी हत्या करने की दोषी है।

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पीड़ितों पर विजेताओं की अवमानना का है स्मारक

Poland Soviet Monument: ग्लबजाइसे में स्मारक को तोड़ने के लिए जब श्रमिक तैयार थे, तो नावरोकी ने कहा, ‘‘ यह अपमान का स्मारक है, यह पीड़ितों पर विजेताओं की अवमानना का स्मारक है।’’उन्होंने कहा कि पूर्व सोवियत संघ ने आजादी नहीं दी, उन्होंने पोलैंड को बंदी बनाया। दक्षिण-पश्चिम में बायकजिनम, उत्तर-पश्चिम में बोबोलिस और दक्षिण में स्टैजो के पास से स्मारक हटाये गये। वर्ष 1989 में कम्युनिस्ट शासन के हटने के बाद से पोलैंड सार्वजनिक स्थानों से मॉस्को के पूर्व दबदबे के प्रतीक रहे स्मारकों को हटा रहा है। हालांकि, इस अभियान में कब्रिस्तान को हटाना शामिल नहीं हैं। नष्ट किये गये स्मारक ‘रेड आर्मी’ के उन सैनिकों को समर्पित थे, जिन्होंने नाजी जर्मन सैनिकों के खिलाफ युद्ध में अपने प्राण गंवा दिये थे।

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