ढाका में प्रदर्शनकारियों ने भारतीय उच्चायोग की ओर मार्च किया, पुलिस ने बीच में रोका
ढाका में प्रदर्शनकारियों ने भारतीय उच्चायोग की ओर मार्च किया, पुलिस ने बीच में रोका
(तस्वीरों के साथ)
ढाका, 17 दिसंबर (भाषा) बांग्लादेश की राजधानी ढाका में पुलिस ने भारतीय उच्चायोग की तरफ मार्च कर रहे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को बुधवार को बीच रास्ते में रोक दिया। यह घटनाक्रम भारत के ढाका में अपने उच्चायोग के आसपास सुरक्षा स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताए जाने के कुछ घंटों बाद हुआ।
पुलिस ने बताया कि ‘जुलाई यूनिटी’ के बैनर तले मार्च निकाल रहे प्रदर्शनकारियों ने भारत-विरोधी नारे लगाए और पिछले साल जुलाई-अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन के बाद देश छोड़कर भागीं अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना व अन्य नेताओं के प्रत्यर्ण की मांग की।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया, “पुलिस ने उत्तर बड्डा में हुसैन मार्केट के सामने रामपुरा ब्रिज से शुरू हुए मार्च को बुधवार दोपहर रोक दिया।”
हालांकि, उन्होंने बताया कि यह वह इलाका है, जहां ज्यादातर विदेशी मिशन स्थित हैं और मार्च के कारण यहां से होकर गुजरने वाली मुख्य सड़क पर वाहनों का आवागमन घंटों तक निलंबित रहा।
स्थानीय मीडिया की खबरों के मुताबिक, मार्च को भारतीय उच्चायोग की तरफ बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेड लगा दिए, जिसके बाद प्रदर्शनकारी भारत के खिलाफ नारे लगाने लगे और हसीना सहित अन्य नेताओं के प्रत्यर्पण की मांग करने लगे।
निजी समाचार एजेंसी ‘यूएनबी’ ने एक प्रदर्शनकारी के हवाले से प्रसारित खबर में कहा, “हम डरने वाले नहीं हैं और हम भारतीय उच्चायोग पर हमला नहीं करेंगे… लेकिन अगर कोई बांग्लादेश पर नियंत्रण कायम करने की कोशिश करता है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।”
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि “भारत समर्थित राजनीतिक दल, मीडिया संगठन और सरकारी अधिकारी” बांग्लादेश के खिलाफ साजिश रच रहे हैं।
ढाका पुलिस के उपायुक्त नूर-ए-आलम सिद्दीकी ने कहा कि राजनयिक एन्क्लेव की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से पुलिस इकाइयां बुलाई गईं।
‘ढाका ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के अनुसार, मार्च का नेतृत्व ढाका विश्वविद्यालय केंद्रीय छात्र संघ (डीयूसीएसयू) के समाज कल्याण सचिव एबी जुबैर कर रहे थे।
खबर में कहा गया है कि पुलिस के हस्तक्षेप के बाद प्रदर्शनकारी उत्तर बड्डा में हुसैन मार्केट के सामने वाली सड़क पर बैठ गए और ‘दिल्ली या ढाका, ढाका तो है ढाका’ तथा ‘हादी मेरा भाई-हादी को क्यों मरना पड़ा?’ जैसे नारे लगाने लगे।
‘प्रथन आलो’ अखबार की खबर में कहा गया है कि जुलाई विद्रोह से जुड़े कई संगठनों के मोर्चे ‘जुलाई यूनिटी’ ने शाम को लगभग पांच बजे अपना मार्च समाप्त कर दिया।
इससे पहले, ढाका के जमुना फ्यूचर पार्क स्थित भारतीय वीजा आवेदन केंद्र (आईवीएसी) ने राजधानी में मौजूदा सुरक्षा स्थिति को देखते हुए अपना कार्यालय बंद कर दिया था।
वहीं, नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के उच्चायुक्त रियाज हमीदुल्ला को तलब करके ढाका स्थित भारतीय मिशन के आसपास सुरक्षा संबंधी समस्या उत्पन्न करने की कुछ चरमपंथी तत्वों की योजना को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया था।
नयी दिल्ली ने बांग्लादेश में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर गंभीर चिंता जाहिर की थी और स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं विश्वसनीय संसदीय चुनाव कराने की अपनी मांग दोहराई थी।
बांग्लादेश में संसदीय चुनाव 12 फरवरी को होने हैं।
घटनाक्रम से वाकिफ लोगों के अनुसार, हामिदुल्ला को विदेश मंत्रालय में तलब किया गया और उन्हें एक औपचारिक राजनयिक नोटिस सौंपा गया।
विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह अपने राजनयिक दायित्वों के अनुरूप बांग्लादेश में मिशनों और कार्यालयों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।”
इस बीच, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार एम तौहीद हुसैन ने कहा कि चुनाव कैसे कराए जाने चाहिए, इस बारे में ढाका को अपने पड़ोसियों की “सलाह” की जरूरत नहीं है।
हुसैन ने आरोप लगाया कि हसीना के शासनकाल में हुए “हास्यास्पद चुनावों” के दौरान भारत चुप रहा। उन्होंने कहा, “अब हम एक निष्पक्ष चुनाव की ओर बढ़ रहे हैं और हमें अचानक सलाह दी जा रही है। मुझे यह बिल्कुल अस्वीकार्य लगता है।”
ढाका में हालात पिछले हफ्ते फिर तनावपूर्ण हो गए, जब अज्ञात बंदूधारियों ने पिछले साल के सरकार विरोधी आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले शरीफ उस्मान हादी को गोली मार दी।
ढाका के बाहरी इलाके में स्थित नारायणगंज नदी बंदरगाह शहर के एक निर्वाचन क्षेत्र से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक उम्मीदवार ने सुरक्षा कारणों से चुनाव न लड़ने की घोषणा की।
सरकार विरोधी आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा रहे महफूज आलम ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा कि अगर बांग्लादेश में हादी जैसे लोग सुरक्षित नहीं हैं, तो उनके दुश्मन, जो “भारत और विदेशी देशों के हितों की रक्षा कर रहे हैं”, वे भी यहां सुरक्षित नहीं रहेंगे।
भाषा पारुल रंजन
रंजन

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