सोमालीलैंड की मान्यता की चाह : ब्रिटेन की चर्चा एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत देती है

सोमालीलैंड की मान्यता की चाह : ब्रिटेन की चर्चा एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत देती है

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  • Publish Date - January 23, 2022 / 02:27 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:45 PM IST

(मैथ्यू गोर्डन, पीएचडी शोधार्थी, राजनीति एवं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन)

लंदन, 23 जनवरी (द कन्वरसेशन) हॉर्न ऑफ अफ्रीका (सोमाली प्रायद्वीप के तौर पर भी प्रसिद्ध) के शेष क्षेत्र जहां युद्धक्षेत्र में स्थिति को बदलने में जुटे हैं, वहीं छोटा, स्वघोषित सोमालीलैंड गणराज्य अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में व्यस्त है, जिसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिवर्तन की झलक मिल रही है।

ब्रिटेन की संसद के सभागार में जब 18 जनवरी को, करीब 20-25 ब्रिटिश सांसदों ने सोमालीलैंड की स्वतंत्रता को मान्यता देने पर चर्चा की।

आश्चर्यजनक रूप से बड़े मतदान और विभिन्न दलों की सर्वसम्मति (एक दुर्लभ बात) ने कार्यवाही को आशा की किरण दी और एक महत्वपूर्ण परिवर्तन की हल्की गूंज सुनाई दी। यह इस तथ्य के बावजूद था कि सरकार के प्रतिनिधि ने यथास्थिति बनाए रखने पर जोर देकर चर्चा समाप्त की।

इस यथास्थिति का मतलब ब्रिटेन – और सामान्य तौर पर पश्चिमी देश- सोमालीलैंड को व्यापक सोमालिया का क्षेत्र मानते हैं। व्यावहारिक रूप से सोमालीलैंड में स्वशासन और स्वतंत्रता के लिए महत्वाकांक्षाओं के बावजूद पश्चिम का यह रुख है।

पश्चिम ने यह सोमालिया और उसके अफ्रीकी पड़ोसियों पर छोड़ दिया है कि यदि वे चाहें तो दिशा में बदलाव का नेतृत्व कर सकते हैं।

पिछले तीन दशकों में सोमालीलैंड ने शांति बनाए रखने और चुनाव कराने में उपलब्धियां हासिल की हैं। इन घटनाओं ने इसे विदेशी सरकारों और नीति निर्माताओं से विशेष ध्यान और प्रशंसा दिलवाई है, लेकिन उन्होंने इसे कूटनीतिक मान्यता नहीं दी है।

हालांकि, इस बात के संकेत हैं कि देश की किस्मत बदल रही है। ऐसा कुछ हद तक इसलिए है कि पश्चिमी देश हॉर्न ऑफ अफ्रीका में अपने सहयोगियों को चीन के हाथों खो रहे हैं। उसी समय सोमालीलैंड अपने बेरबेरा बंदरगाह के पुनर्विकास के लिए डीपी वर्ल्ड के साथ एक समझौते के बाद खुद को क्षेत्रीय व्यापार के केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है।

ऐसा लगता है कि इन घटनाक्रम ने उसकी तरफ अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचा है। इसका प्रमाण अमेरिकी नेताओं के सोमालीलैंड संबंधी गतिविधियों की ओर हालिया झुकाव से मिलता है। इसमें पिछले महीने पहली बार स्टाफ कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल द्वारा क्षेत्र का दौरा शामिल है। सोमालीलैंड के राष्ट्रपति मूसे बिही जल्द ही स्वयं यात्रा करने वाले हैं।

एक मायने में, हाल के घटनाक्रम से साफ है कि दुनिया सोमालीलैंड की वास्तविकता को मान रही है। सांसदों के भाषणों को सुनकर, यह स्पष्ट है कि सोमालीलैंड की मान्यता के लिए नैतिक, कानूनी, राजनीतिक और आर्थिक औचित्य राजनीतिक विमर्श का मुद्दा बन गया है।

यह अपने आप में तीन दशकों से अधिक समय से प्रवासी कार्यकर्ताओं के अथक अभियान का परिणाम है। 1990 के दशक से उन्होंने अपने स्थानीय प्रतिनिधियों को बातचीत के बिंदुओं पर तैयार किया है और उन्हें इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए प्रोत्साहित किया है।

द कन्वरसेशन

नेहा सिम्मी

सिम्मी