बांग्लादेश में हुए विद्रोह के प्रमुख नेताओं में से एक हादी की मौत के बाद देशभर में तनाव
बांग्लादेश में हुए विद्रोह के प्रमुख नेताओं में से एक हादी की मौत के बाद देशभर में तनाव
(फोटो के साथ)
ढाका/नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) बांग्लादेश में पिछले वर्ष जुलाई में हुए विद्रोह के प्रमुख नेताओं में से एक शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं हुईं, जिससे देशभर में तनाव व्याप्त हो गया।
हालांकि शुक्रवार सुबह किसी हिंसक घटना की जानकारी नहीं मिली। इससे पूर्व प्रदर्शनकारियों ने पहले ही ध्वस्त हो चुके, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के आवास 32 धानमंडी पर तोड़फोड़ की।
देश के विभिन्न हिस्सों में बृहस्पतिवार रात को हमलों और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं, जिनमें चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायुक्त के आवास पर पत्थरबाजी भी शामिल है। ये घटनाएं मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनूस द्वारा टेलीविजन पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए इंकलाब मंच के नेता हादी की मौत की पुष्टि करने के बाद हुईं।
इससे पहले इंकलाब मंच ने हादी की मृत्यु की घोषणा की थी। उनका शव शाम तक घर लाया जाएगा।
हादी 12 फरवरी को होने वाले आम चुनावों में एक उम्मीदवार थे। छह दिन तक जिंदगी-मौत के बीच जंग लड़ने के बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
पिछले सप्ताह उन्होंने मध्य ढाका के विजयनगर इलाके में अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की थी, तब एक नकाबपोश बंदूकधारी ने उनके सिर में गोली मार दी थी।
प्रदर्शनकारियों ने बृहस्पतिवार को प्रमुख समाचार पत्रों के कार्यालयों पर हमला किया, 32 धानमंडी को हथौड़ों से तोड़ा-फोड़ा, और राजशाही सिटी में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की भंग हो चुकी पार्टी आवामी लीग के एक कार्यालय को भी ध्वस्त कर दिया।
बांग्लादेश की स्वतंत्रता से पहले, दशकों तक स्वाधीनता के लिए संघर्ष का केंद्र रहे 32 धानमंडी को इस साल पांच फरवरी को बुल्डोजरों से ध्वस्त कर दिया गया था। इससे पहले पांच अगस्त 2024 को उस समय की आवामी लीग सरकार के पतन के बाद मुजीबुर्रहमान के आवास को आग भी लगा दी गई थी।
प्रदर्शनकारियों ने चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायुक्त के आवास पर रात 1:30 बजे पथराव भी किया, हालांकि इससे कोई नुकसान नहीं हुआ।
पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया और 12 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। वरिष्ठ अधिकारियों ने सहायक उच्चायुक्त की सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
पिछले साल हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले ‘स्टूडेंट अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ नामक संगठन के राजनीतिक गुट ‘नेशनल सिटिजन पार्टी’ (एनसीपी) ने ढाका विश्वविद्यालय के परिसर में हुए मातमी जुलूस में हिस्सा लिया।
समूह के समर्थकों ने भारत विरोधी नारे लगाते हुए आरोप लगाया कि हादी पर हमला करने वाला व्यक्ति वारदात को अंजाम देकर भारत भाग गया।
हादी के समर्थकों ने अंतरिम सरकार से हमलावर को वापस लाए जाने तक भारतीय उच्चायोग बंद करने की मांग की।
एनसीपी के एक प्रमुख नेता सरजिस आलम ने कहा, “जब तक भारत हादी पर हमला करने वाले को लौटा नहीं देता, तब तक अंतरिम सरकार बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग बंद कर दे। अभी नहीं तो कभी नहीं। हम युद्ध की स्थिति में हैं।”
पिछले साल अगस्त में अपदस्थ होने के बाद से हसीना भारत में हैं।
ढाका में, प्रदर्शनकारियों ने एक प्रमुख सांस्कृतिक समूह ‘छाया नाट’ के कार्यालय पर हमला किया और फर्नीचर बाहर निकाल कर आग लगा दी।
देश के अन्य हिस्सों से भी हिंसा की खबरें हैं।
प्रदर्शनकारियों का हिस्सा माने जा रहे एक समूह ने राजधानी के कारवां बाजार में बांग्ला समाचारपत्र ‘प्रथम आलो’ और पास स्थित ‘डेली स्टार’ के कार्यालयों पर हमला किया।
खबरों के अनुसार, उन्होंने कई मंजिलों में तोड़फोड़ की। इस दौरान पत्रकार और समाचारपत्र के कर्मचारी अंदर फंसे रहे और समूह ने इमारत के सामने आग लगा दी।
गंभीर रूप से बीमार पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने तोड़फोड़ की कड़ी निंदा की और कहा कि युनूस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
अपने संबोधन में, युनूस ने हादी की निर्मम हत्या में शामिल लोगों को शीघ्र न्याय के कटघरे में लाने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, “हत्यारों के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई जाएगी।”
यूनुस ने कहा,“मैं सभी नागरिकों से धैर्य बनाए रखने की अपील करता हूं।”
मुख्य सलाहकार ने शनिवार को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया और कहा कि जुमे की नमाज के बाद देश भर की सभी मस्जिदों में हादी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘कोई भी इस देश की लोकतांत्रिक प्रगति को धमकी, आतंकवादी गतिविधियों या रक्तपात के जरिए नहीं रोक सकता।’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि हादी के सपने को साकार करने की जिम्मेदारी पूरे राष्ट्र के कंधों पर है।
उन्होंने कहा, ‘‘धमकी, आतंकवादी गतिविधियों या खून खराबे के जरिए कोई भी इस देश की लोकतांत्रिक प्रगति को नहीं रोक सकता और हादी के सपने को साकार करने की जिम्मेदारी पूरे देश के कंधों पर है।’’
भाषा जोहेब मनीषा
मनीषा

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