पाकिस्तान में बैसाखी समारोह में हजारों सिख हुए शामिल, जरदारी एवं शहबाज ने बधाई दी |

पाकिस्तान में बैसाखी समारोह में हजारों सिख हुए शामिल, जरदारी एवं शहबाज ने बधाई दी

पाकिस्तान में बैसाखी समारोह में हजारों सिख हुए शामिल, जरदारी एवं शहबाज ने बधाई दी

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Modified Date: April 14, 2025 / 07:54 PM IST
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Published Date: April 14, 2025 7:54 pm IST

(सज्जाद हुसैन और एम. जुल्करनैन)

इस्लामाबाद/लाहौर, 14 अप्रैल (भाषा) गुरुद्वारा जन्मस्थान ननकाना साहिब में बैसाखी उत्सव के मुख्य समारोह में हजारों सिख शामिल हुए जबकि पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व ने इस अवसर पर समुदाय को शुभकामनाएं दीं। समारोह में हिस्सा लेने वाले सिखों में भारत से आये सिख भी शामिल थे।

बैसाखी सिख नववर्ष और 1699 में गुरु गोबिंद सिंह के नेतृत्व में खालसा पंथ की स्थापना का प्रतीक है।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के पवित्र स्थलों की देखभाल करने वाले इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के अनुसार, गुरु नानक देव के जन्मस्थान पर खालसा स्थापना समारोह में बड़ी संख्या में स्थानीय सिखों सहित लगभग 10,000 विदेशी सिख शामिल हुए।

ईटीपीबी प्रवक्ता गुलाम मुहयुद्दीन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘10,000 विदेशी सिखों में से 6,700 भारत से आए थे और अन्य कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों से आए थे।’’

उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में आये सिखों की सुविधा के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने कहा कि 50 साल में पहली बार पाकिस्तान सरकार ने सद्भावना के तौर पर बैसाखी के त्योहार के लिए भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को 6,700 से अधिक वीजा जारी किए हैं।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अपने संदेश में कहा कि बैसाखी पाकिस्तान की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता में सुंदरता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय पाकिस्तान की प्रगति और समृद्धि में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संविधान अल्पसंख्यकों के लिए पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता, समान अधिकार और सुरक्षा की गारंटी देता है।’’

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अंतरधार्मिक सद्भाव, सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि यह त्योहार रबी की फसल पकने का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह किसानों के लिए बहुत खुशी का समय होता है क्योंकि वे अपनी कड़ी मेहनत का फल प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा कि यह आशा, एकता और नवीनीकरण की स्थायी भावना की याद दिलाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें बैसाखी की भावना से प्रेरित होकर नयी ऊर्जा और उद्देश्य के साथ आगे बढ़ना चाहिए, ताकि एक उज्जवल, अधिक समावेशी और मजबूत कल का निर्माण किया जा सके।’

इस बीच, ननकाना साहिब में बैसाखी के मुख्य समारोह को संबोधित करते हुए धार्मिक मामलों के राज्य मंत्री के. दास कोहिस्तानी ने कहा कि पाकिस्तान यहां रहने वाले सभी समुदायों का है और यहां हर धर्म का सम्मान किया जाता है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सभी अल्पसंख्यकों को उपासना करने और अपने त्योहार मनाने की स्वतंत्रता है। मंत्री ने बैसाखी समारोह में भाग लेने के लिए देशभर से और भारत सहित विदेश से ननकाना साहिब आये सिख तीर्थयात्रियों का गर्मजोशी से स्वागत किया।

बैसाखी उत्सव में शामिल होने वाले लोगों ने धार्मिक अनुष्ठान किये और लंगर चखा। पाकिस्तान सरकार की ओर से संघीय और प्रांतीय मंत्रियों, ईटीपीबी और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

इसमें हिस्सा लेने वाले अधिकतर सिख पहली बार पाकिस्तान में अपने पवित्र स्थलों पर जाकर अभिभूत थे।

जालंधर के 22 वर्षीय नर्सिंग छात्र ईशानदीर सिंह ने कहा, ‘‘मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकता। बाबा गुरु नानक की जन्मस्थली पर आकर बहुत अच्छा लग रहा है। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे वीजा मिला और आज मैं बाबा नानक की धरती पर हूं। मैं बेहद खुश और संतुष्ट हूं।’’

भारतीय में से एक रवींदर सिंह ने व्यवस्थाओं के लिए अधिकारियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि सिख तीर्थयात्री पाकिस्तान को अपना दूसरा घर मानते हैं क्योंकि उनके धर्म के कुछ सबसे पवित्र स्थान यहीं स्थित हैं। उन्होंने कहा कि हर सिख पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारों में जाना पसंद करता है और जब उन्हें ऐसा करने का मौका मिलता है तो वे खुद को धन्य महसूस करते हैं।

वहीं दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य दलजीत सिंह सरना सहित अन्य सिख नेता भी बोले।

मुख्य समारोह में धार्मिक मामले एवं अंतर-धार्मिक सद्भाव मंत्री सरदार मुहम्मद यूसुफ ने प्रधानमंत्री शहबाज और पूरे देश की ओर से सिख समुदाय को बधाई दी।

पाकिस्तान-भारत धार्मिक प्रोटोकॉल समझौता 1974 के तहत, किसी भी धार्मिक त्योहार के लिए 3,000 सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान जाने की अनुमति है। हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने 6,751 वीजा जारी किए हैं, धार्मिक मामलों के मंत्रालय और ईटीपीबी के विशेष अनुरोध पर 3,751 अतिरिक्त वीजा दिए हैं।

इस वर्ष भारतीय तीर्थयात्रियों की बड़ी संख्या को देखते हुए उनके दो समूह बनाए गए हैं।

मंगलवार को एक समूह गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर जाएगा, जबकि दूसरा गुरुद्वारा पंजा साहिब जाएगा। बृहस्पतिवार को दोनों समूह लाहौर में गुरुद्वारा डेरा साहिब में मत्था टेकेंगे और बाद में एमिनाबाद में गुरुद्वारा रोरी साहिब जाएंगे। भारतीय सिख तीर्थयात्री शनिवार को स्वदेश लौटेंगे।

भाषा

अमित माधव

माधव

 

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