ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के महत्वाकांक्षी ‘रवांडा विधेयक’ को लेकर गतिरोध बरकरार |

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के महत्वाकांक्षी ‘रवांडा विधेयक’ को लेकर गतिरोध बरकरार

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के महत्वाकांक्षी ‘रवांडा विधेयक’ को लेकर गतिरोध बरकरार

:   Modified Date:  March 21, 2024 / 05:27 PM IST, Published Date : March 21, 2024/5:27 pm IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, 21 मार्च (भाषा) ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का महत्वाकांक्षी ‘रवांडा विधेयक’ एक बार फिर संसद में पारित नहीं हो सका और उच्च सदन ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स’ के सदस्यों ने विधेयक में संशोधन किये जाने की मांग की।

विधेयक को संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में वापस भेज दिया गया है।

रवांडा की सुरक्षा (शरण और अप्रवासन) विधेयक को ईस्टर अवकाश के बाद अप्रैल के मध्य में मतदान के लिए फिर से पेश किया जायेगा। संसद के उच्च सदन के सदस्यों ने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ द्वारा इसमें किये गए बदलावों को बुधवार रात खारिज कर दिया।

ब्रिटेन की सरकार का कहना है कि रवांडा विधेयक का उद्देश्य ब्रिटेन में इंग्लिश चैनल के रास्ते अवैध रूप से आने वाले शरणार्थियों को रोकना है। रवांडा विधेयक के तहत ब्रिटेन की सरकार शरण लेने वाले लोगों को वापस रवांडा भेजेगी, जहां से वे ब्रिटेन में शरण पाने के लिए आवेदन कर सकेंगे।

विपक्षी दल लेबर पार्टी ने इस योजना को एक महंगा ‘‘छलावा’’ करार दिया है। कंजर्वेटिव सरकार ने हालांकि कहा कि इसके जरिये इंग्लिश चैनल के रास्ते आने वाले अवैध प्रवासियों को रोका जा सकेगा।

सुनक ने बुधवार को ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में कहा, ‘‘जब से मैं प्रधानमंत्री बना हूं, अवैध शरणार्थियों की संख्या में एक तिहाई से अधिक की कमी आई है। ऐसा इसलिए हुआ है कि हमने राष्ट्रीय अपराध एजेंसी का वित्तपोषण दोगुना कर दिया है और हमने अवैध आव्रजन प्रवर्तन छापे 70 प्रतिशत तक बढ़ा दिए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने 7,500 बैंक खाते बंद कर दिए हैं, 24,000 अवैध प्रवासियों को निर्वासित किया है और 1,12,000 से अधिक मामलों में कार्रवाई की है।’’

लेबर पार्टी के नेता केर स्टार्मर ने सरकार पर इस योजना पर करदाताओं का पैसा बर्बाद करने का आरोप लगाया।

इस बीच, रवांडा विधेयक को लेकर संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है और इस पर सहमति बनाने के प्रयास जारी हैं। सरकार को उम्मीद है कि अगले महीने ईस्टर के बाद संसद का सत्र फिर से शुरू होने पर दोनों सदनों में इस विधेयक पर फिर से चर्चा कर सहमति बना ली जायेगी।

भाषा

देवेंद्र सुभाष

सुभाष

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