यूक्रेन शांति वार्ता: दोनों पक्ष एक टिकाऊ समझौते से कितनी दूर हैं?

यूक्रेन शांति वार्ता: दोनों पक्ष एक टिकाऊ समझौते से कितनी दूर हैं?

  •  
  • Publish Date - April 4, 2022 / 01:58 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

स्टीफन बोल्फ, बर्मिंघम विश्वविद्यालय

बर्मिंघम, चार अप्रैल (द कन्वरसेशन) तुर्की में रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता के एक और दौर में दोनो देशों के बीच युद्धविराम की दिशा में बहुत कम प्रगति हुई है, शांति समझौते की तो बात ही छोड़ दें। मॉस्को और कीव दोनों के बयानों के आधार पर, ऐसा प्रतीत होता है कि जिन मुद्दों पर बातचीत की आवश्यकता है, उन पर कुछ आम सहमति तो है, लेकिन दोनो पक्ष जिस स्वीकार्य समाधान पर विचार कर सकते हैं, उसे लेकर सहमति कम है।

यूक्रेन की वर्तमान स्थिति दो मुख्य मुद्दों पर केंद्रित है: तटस्थता और क्षेत्रीय अखंडता। पहले मुद्दे पर यूक्रेनी संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी जो ‘‘यूक्रेन के यूरो-अटलांटिक मार्ग की अपरिवर्तनीयता’’ की वर्तमान प्रतिबद्धता को बदलता है और इसके बजाय देश को एक स्थायी तटस्थ स्थिति प्रदान करता है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति, वलोडिमिर ज़ेलेंस्की, रूस के साथ किसी भी समझौते पर जनमत संग्रह कराने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता तो पहले ही जता चुके हैं, पर यह यूक्रेनी संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता को दूर नहीं करेगा – और इसके प्रति संवैधानिक अदालत की एक अनुकूल राय भी जरूरी है कि क्या संशोधन ‘‘स्वतंत्रता के परिसमापन या यूक्रेन की क्षेत्रीय अविभाज्यता के उल्लंघन की ओर तो उन्मुख नहीं हैं’’। ये दोनों संवैधानिक संशोधनों के लिए आवश्यक हैं। इसके अलावा, ‘‘मार्शल लॉ या आपातकाल की स्थिति में’’ किसी भी संवैधानिक संशोधन की अनुमति नहीं है।

एक ओर, जनमत संग्रह और संसद में सुपर-बहुमत यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी स्वीकृत सौदे को यूक्रेन में आवश्यक समर्थन प्राप्त है। दूसरी ओर इससे ‘‘सौदेबाजी की गुंजाइश’’ कम होगी, जो ज़ेलेंस्की की बातचीत में है।

तटस्थता के लिए सुरक्षा गारंटी की भी आवश्यकता होगी। फिर, यह कुछ ऐसा है जिस पर रूस और यूक्रेन दोनों सहमत हैं। लेकिन दोनों पक्षों में मतभेद है कि वे इसे कैसे देखते हैं। रूस जो गारंटी चाहता है वह यूक्रेनी तटस्थता है – यूक्रेन जो गारंटी चाहता है वह इसकी क्षेत्रीय अखंडता है। ये समान नहीं हैं, और इन्हें विभिन्न गारंटरों और गारंटी तंत्रों की आवश्यकता होगी।

यूक्रेनी पक्ष के मन में एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसके तहत गारंटर देश, यूक्रेन के खिलाफ किसी भी आक्रामकता की स्थिति में‘‘कानूनी रूप से उसे सैन्य सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य हैं, विशेष रूप से हथियारों के रूप में और आसमान को बंद करने के लिए’’।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के अलावा संभावित गारंटर देशों में तुर्की, जर्मनी, कनाडा, इटली, पोलैंड और इज़राइल शामिल होंगे। इसके परिणामस्वरूप, दो अलग-अलग, या अतिव्यापी, वार्ता प्रारूपों की भी आवश्यकता होगी, एक तटस्थता की स्थिति के विषय पर रूस और यूक्रेन के बीच और दूसरे में उन्हें और संभावित गारंटर देशों को शामिल किया जाएगा।

एजेंडा में दूसरा मुद्दा देश की क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित है। यहां, ज़ेलेंस्की ने पहले क्रीमिया और डोनबास की स्थिति के साथ-साथ आक्रमण के बाद से रूस द्वारा अधिग्रहित किसी भी क्षेत्र पर समझौता करने से इनकार किया था। कम से कम क्रीमिया के संबंध में, अब यूक्रेनी पक्ष में कुछ और लचीलापन प्रतीत होता है।

कीव प्रायद्वीप की भविष्य की स्थिति पर तटस्थता पर बातचीत को अलग करने और अगले 15 वर्षों के दौरान रूस के साथ द्विपक्षीय प्रारूप में उन्हें अलग से संबोधित करने के लिए तैयार है। लेकिन इसके लिए भी क्रेमलिन के साथ कुछ न्यूनतम सहमति की आवश्यकता होगी। दोनों पक्षों को उन शर्तों पर सहमत होने की आवश्यकता होगी जिनके तहत इन वार्ताओं में देरी हो रही है, किस प्रकार की अंतरिम स्थिति लागू होगी, और अंतिम समझौता कैसा दिखेगा।

बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि रूस और यूक्रेन किस हद तक मुख्य मुद्दों पर रियायतें देने को तैयार हैं और किस हद तक वे और संभावित सुरक्षा गारंटर किसी भी सौदे को पूरा करने के लिए तैयार और सक्षम हैं जो अंततः आकार ले सकता है।

रूस की इस घोषणा, कि वह कीव के आसपास अपने सैन्य अभियान को कम करेगा और दक्षिण और पूर्व में ‘‘शिफ्ट’’ करेगा, को यूक्रेन और उसके पश्चिमी भागीदारों द्वारा भारी संदेह के साथ देखी जा रही है।

लेकिन बातचीत के गंभीर होने से पहले रूस की इस घोषणा का कुछ खास महत्व नहीं है। रूस के क्रीमिया तक एक भूमि पुल की स्थापना करने और मध्य यूक्रेन में नीप्रो नदी के पूर्व में क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर लेने के बाद, युद्धविराम और अंततः एक शांति समझौते की दिशा में प्रगति हो सकती है। फिर भी, दोनों पक्षों के लिए इस क्षेत्र में अभियानों के बढ़ने से बातचीत में अतिरिक्त जटिलता पैदा हो सकती है।

वार्षिक वसंत सैन्य मसौदे के हिस्से के रूप में लगभग 150,000 नए सैनिकों को जुटाने का आदेश देने वाले आदेश पर पुतिन के हस्ताक्षर एक अशुभ संकेत है। ऐसा प्रतीत होता है कि रूसी राष्ट्रपति यूक्रेन में अपने विनाशकारी युद्ध को समाप्त करने से बहुत दूर हैं।

द कन्वरसेशन एकता एकता

एकता