अमेरिका। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर्स को सेना में जाने से रोकने की नीति लागू करने के लिए हरी झंडी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की नीति के इस फैसले को 5-4 से मंजूर किया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायधीशों ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का विरोध किया। अमेरिकी सरकार का कहना है कि ट्रांसजेंडर लोगों को नियुक्त करने से सेना के प्रभाव और क्षमता पर बड़ा जोखिम पैदा हो सकता है।
अमेरिका की इस नीति के तहत एक जुलाई, 2017 को ट्रांसजेंडर लोगों की भर्ती शुरू करनी थी। लेकिन ट्रंप प्रशासन ने पहले तो ट्रांसजेंडर की भर्ती 1 जनवरी, 2018 तक बढ़ा दिया था और उसके बाद ट्रांसजेंडर की भर्ती को पूरी तरह समाप्त करने का फैसला ले लिया। लेकिन सेना में ट्रांसजेंडर लोगों की भर्ती पर रोक को अदालत में कई बार चुनौती दी गई। इसके बाद एक परिवर्तित नीति लाई गई, जिसमें ट्रांसजेंडर्स की सेवाओं पर कई तरह की पाबंदियां रखी गईं। बाद में इसे भी निलंबित कर दिया गया।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा के शासनकाल में ट्रांसजेंडर्स को सेना में भर्ती करने की नीति को लागू किया गया था। इसके तहत ट्रांसजेंडर्स की सेना में भर्ती होती थी, साथ ही उन्हें लिंग सर्जरी के लिए भी सरकारी मदद मिलने का प्रावधान किया गया था।
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी का दावा कर चुकी डेमोक्रेट और भारतीय मूल की सांसद कमला हैरिस ने ट्वीट किया, कि ‘सेना में ट्रांसजेंडर्स में हमारे देश की सेवा करने का साहस है और वो ऐसा करने के योग्य हैं, हमें इस फैसले के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी’।
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