Year Ender 2022: साल 2022 में छत्तीसगढ़ की राजनीति में हुए ये बड़े बदलाव, नए जिलों से लेकर आरक्षण तक गरमाया मुद्दा
Chhattisgarh politics year ender 2022 : साल 2022 में छत्तीसगढ़ की राजनीति में कई बड़े बदलाव हुए। कहीं प्रभारी बदले गए, तो कहीं बयानबाजी पर नेता मंत्री सवालों में घिरें, वहीं साल के अंत में आरक्षण के मुद्दें ने छत्तीसगढ़ में गरमा-गरमी की स्तिथि पैदा हुई। आइए हम आपको यहां बतातें है छत्तीसगढ़ की राजनीति से जुड़ी बड़ी बातें।
In the year 2022, these major changes in the politics of Chhattisgarh
रायपुर। Chhattisgarh politics year ender 2022 : साल 2022 को खत्म होने केवल कुछ ही दिन शेष रह गए है। लोग बेसर्बी से 2023 का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में साल 2022 छत्तीसगढ़ कई बड़ी राजनीतिक खबरें है जो नए साल की सफर में भी जाने वाली है। आज हम उन्हीं राजनीतिक दांव पेच के बारे में बता रहे हैं, जो 2022 में घटी है।
Chhattisgarh politics year ender 2022 : साल 2022 की राजनीतिक घटनाक्रम
विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी और जेसीसीजे विधायक देवव्रत सिंह का निधन हो गया। इसके बाद खैरागढ़ और भानुप्रतापपुर में उपचुनाव हुए। दोनों विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की।
इस साल सितंबर में छत्तीसगढ़ में चार और नए जिले बनाए गए। इनमें मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी, सारंगढ़-बिलाईगढ़ और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई है।
राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस ने दोनों सीटें जीती। बीजेपी नेता रामविचार नेताम और कांग्रेस नेता छाया वर्मा की खाली हुई सीट पर राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन को राज्यसभा सदस्य बनाकर दिल्ली भेजा गया।
कई मुद्दों पर अपनी ही सरकार के फैसलों से नाराजगी जाहिर करते हुए मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। अपने इस्तीफे के साथ वजहों का डिटेल जिक्र करते हुए उन्होंने सीएम को एक पत्र भी भेजा। कुछ दिन बाद सिंहदेव का इस्तीफा सीएम ने मंजूर कर लिया और पंचायत विभाग मंत्री रविन्द्र चौबे को दे दिया गया ।
भाजपा ने इस साल प्रदेश संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बदल दिए। विष्णुदेव साव के बदले बिलासपुर सांसद अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। धरमलाल कौशिक को हटाकर नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। भाजपा में इस बदलाव को 2023 विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिहाज से बेहद अहम माना गया।
पूर्व सीएम रमन सिंह को राज्यपाल बनाये जाने की चर्चा छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारे में खूब हुई। इस चर्चा ने तब और जोर पकड़ी जब रमन सिंह अपनी अंगुली के ऑपरेशन के लिए दिल्ली गये हुए थे। हालांकि, ऐसा कुछ नहीं हुआ।
भाजपा प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी को हाईकमान ने बदल दिया। ये बदलाव उस वक्त में हुआ जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और डी पुरंदेश्वरी दोनों रायपुर दौरे पर ही थे। पुरंदेश्वरी को हटाकर भाजपा ने ओम माथुर को नया प्रदेश प्रभारी बनाया।
पूर्व सीएम रमन सिंह ने भानुप्रतापपुर विधानसभा चुनाव प्रचार के दैरान एक कार्यक्रम के मंच से सीएम भूपेश बघेल को मूसवा मतलब चूहा कह दिया था। जिसके कांग्रेस इस बयान को लेकर हमलावर हो गई। खुद सीएम भूपेश बघेल ने भी इसे लेकर पलटवार करते हुए रमन सिंह को सामंती सोच वाला बताया।
कांग्रेस ने प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया को हटाकर कुमारी सैलजा को कांग्रेस प्रदेश प्रभारी का जिम्मा सौंपा। सैलजा को राहुल गांधी के कोर टीम का हिस्सा माना जाता है। 5 सालों से पीएल पुनिया छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बतौर प्रदेश प्रभारी जिम्मेदारी सम्हाल रहे थे।
इस साल छत्तीसगढ़ में आरएसएस बेहद सक्रिय दिखाई दी। संघ की राष्ट्रीय स्तर की समन्वय बैठक रायपुर में हुई। हिंदुत्व और धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत का 2 दिवसीय जशपुर और सरगुजा दौरा भी चर्चा में रहा, जिसमें उन्होंने भाजपा के दिवंगत हिंदूवादी नेता दिलीप सिंह जूदेव के प्रतिमा का अनावरण किया।
साल बीतते-बीतते हाईकोर्ट के एक फैसले ने छत्तीसगढ़ में आरक्षण के विषय को चर्चा में ला दिया। बिलासपुर हाईकोर्ट ने सभी वर्गों को मिलाकर 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण को असंवैधानिक करार दे दिया। जिससे कई विभागों में भर्तियां, प्रतियोगी परीक्षाओं के नतीजे और इंजीनियरिंग-मेडिकल में एडमिशन रुक गए। इसके बाद कानून संसोधन हुए, लेकिन साल बीतने तक मामला राज्यापाल के पास ही अटका है।
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