नई दिल्लीः Assistant Professor Bharti यदि आप कालेजों में प्रोफेसर बनने का सपना देख रहे हैं और आपके पास यूजीसी नेट और पीएचडी की डिग्री नहीं है तो यह खबर आपके लिए ही है। आज हम आपको प्रोफेसर की एक नौकरी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें यूजीसी नेट और पीएचडी की आवश्यकता नहीं है। ये नौकरी निकली है देश की राजधानी दिल्ली में। दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी डीटीयू में इन दिनों प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के कई पदों पर बंपर भर्ती निकली है। यहां प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के 225 पदों के लिए आवेदन मंगाए गए हैं। आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। अंतिम तिथि 15 अप्रैल 2024 है।
Assistant Professor Bharti जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक डीटीयू विश्वविद्यालयों की पढ़ाई को स्किल से जोड़ने के लिए यूजीसी की प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती करने जा रहा है। प्रोफेसर (पीओपी – प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस) और असिस्टेंट प्रोफेसर दोनों तरह की भर्ती के नोटिफिकेशन जारी किए गए हैं। रिक्त पदों में 54 अनारक्षित है। 22 एससी, 16 एसटी, 49 ओबीसी, 17 ईडब्ल्यूएस और 6 दिव्यांग के लिए आरक्षित है।
डिजाइन – 06 पद
एनवायरमेंट इंजीनियरिंग – 10
आईटी – 13
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग – 05
इकोनॉमिक्स (यूएसएमई) – 04
मैनेजमेंट (यूएसएमई) – 27
बायो टेक्नोलॉजी – 09
मैकेनिकल इंजीनियरिंग – 34
कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग – 50
जिन व्यक्तियों की अपने विशिष्ट पेशे में कम से कम 15 साल की सेवा या अनुभव के साथ विशेषज्ञता है, वे ‘प्रोफेसर्स आफ प्रैक्टिस’ के लिए पात्र होंगे। ये शिक्षक नहीं होने चाहिए। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशा-निर्देशों के अनुसार इंजीनियरिंग, विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, सिविल सेवा, कानून पेशे, पंचायती राज, ग्रामीण सेवा, वाटर हार्वेस्टिंग, ऑर्गेनिक फॉर्मिंग, स्माल ग्रीन एनर्जी सिस्टम, वाटरशेड डेवपलमेंट और सशस्त्र बलों जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ इस भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए यूजीसी नेट या पीएचडी डिग्री की जरूरत नहीं है। नियुक्ति का आधार सिर्फ प्रोफेशनल अनुभव होगा।
प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर बनने वाले कॉन्ट्रेक्ट शुरू में एक वर्ष तक के लिए होगा। काम के आधार पर कॉन्ट्रेक्ट एक एक साल के बढ़ाया जाएगा। पीओपी की सेवा की अधिकतम अवधि तीन वर्ष से अधिक नहीं होगी।
असाधारण मामलों में इसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। किसी भी सूरत में कुल सेवा अवधि चार वर्ष से अधिक नहीं होगी।