ऐसी कौन सी चीज है जो सिर्फ बोलने से ही टूट जाती है? क्यों पूछे जाते हैं IAS के इंटरव्यू में ऐसे अटपटे सवाल? IAS तनु जैन ने दिए जवाब

ऐसी कौन सी चीज है जो सिर्फ बोलने से ही टूट जाती है? क्यों पूछे जाते हैं IAS के इंटरव्यू में ऐसे अटपटे सवाल? ias interview questions in hindi

ऐसी कौन सी चीज है जो सिर्फ बोलने से ही टूट जाती है? क्यों पूछे जाते हैं IAS के इंटरव्यू में ऐसे अटपटे सवाल? IAS तनु जैन ने दिए जवाब
Modified Date: April 11, 2023 / 12:16 pm IST
Published Date: April 11, 2023 12:13 pm IST

नई दिल्ली: ias interview questions in hindi  आज के समय में ये देखने को मिलता है कि स्नातक के बाद सभी लोग प्रशासनिक सेवा की परीक्षा की तैयारियों में जुट जाते हैं। ये अलग बात है कि सफलता किसी किसी को ही मिल पाती है। लेकिन कई बार देखा गया कि है कि बार बार प्रयास करने के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिलती तो वे निराश हो जाते हैं। इन परिस्थितियों में देखा गया है कि उन्हें सही दिशा निर्देश नहीं मिल पाता इसलिए वो सही दिशा में पढ़ाई नहीं कर पाते। कई ऐसा भी देखने को मिला है कि कुछ अभ्यर्थी परीक्षा तो पास कर लेते हैं, लेकिन इंटरव्यू में अटक जाते हैं। तो चलिए आपको आज ऐसे शख्स से मुलाकात करवाते हैं जिन्होंने मॉक इंटरव्यू से काफी प्रसिद्ध‍ि पाई है।

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ias interview questions in hindi  2015 बैच की आईएएस अध‍िकारी तनु जैन आर्म्ड फोर्सेज हेडक्वार्टर में असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर हैं। दृष्टि IAS कोचिंग संस्थान में मॉक इंटरव्यू पैनल का पहचाना चेहरा बन चुकीं तनु जैन को आपने रील्स में भी देखा होगा। वो सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे अभ्यर्थ‍ियों के बीच अलग पहचान रखती हैं। यूपीएससी इंटरव्यू की तैयारी कर रहे अभ्यर्थ‍ियों के लिए उनके अनुभव और टिप्स काफी काम के हैं। लल्लनटॉप के शो बैठकी में तनु जैन ने अपनी जर्नी शेयर करते हुए बताया कि कैसे आईएएस इंटरव्यू एकदम अलग होते हैं। उन्होंने चार बार इंटरव्यू फेस किया और तीन बार उसमें क्या कमी रह गई।

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तनु बताती हैं कि उन्होंने 2014 में पहला इंटरव्यू दिया था। वो डीके दीवान सर का बोर्ड था। धौलपुर हाउस के गोलाकार रूम में अभ्यर्थी अपनी बारी का इं‍तजार कर रहे थे। वो बताती हैं कि एक पैनल के अंदर छह अभ्यर्थ‍ियों को एक टेबल के आसपास बिठा दिया जाता है। फिर एक एक करके कैंडीडेट को बुलाया जाता है। उसके बाद अभ्यर्थी मेन रूम में जाता है तो अस‍िस्टेंट खोलता है। यहां अभ्यर्थी अंदर आने की इजाजत मांगता है, इजाजत मिलने के बाद वो अंदर प्रवेश करके अपनी सीट में बैठता है। वहां पांच लोग बैठे होते हैं पैनल में। ये सभी अलग-अलग क्षेत्र से होते हैं। अभ्यर्थी को उनके बारे में पता नहीं होता। अभ्यर्थी को सिर्फ पैनल के चेयरमैन के बारे में पता होता है। यहां भीतर पैनल में साइकोलॉजिस्ट, ब्यूरोक्रेट या यूपीएससी मेंबर कोई भी हो सकता है। तनु कहती हैं कि मेरा फिलॉसफी सब्जेक्ट था,साथ में जीएस तो होता ही है। इसके बाद सिलसिला शुरू होता है। एक मेंबर छह से सात सवाल पूछता है। इंटरव्यू चेयरमैन शुरू करते हैं, फिर सभी पैनलिस्ट सवाल करते हैं फिर अंत में चेयरमैन सवाल पूछता है।

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पैनल द्वारा अटपटे सवाल वैसे तो पूछे नहीं जाते। लेकिन यदि सभी सवालों के जवाब मिल गए हैं तो एक प्रजेंस ऑफ माइंड चेक करने के लिए हो सकता है कि कुछ पूछ लिया जाए। जैसे मान लीजिए पूछ लिया कि अंडा पहले आया या मुर्गी? ऐसी कौनसी चीज़ है जो सिर्फ़ बोलने से ही टूट जाती है? वैसे तो यहां सुलझे हुए और गहरे सवाल पूछे जाते हैं, ताकि जज किया जा सके कि अभ्यर्थी इतनी प्रत‍िष्ठ‍ित सेवाओं के लायक है या नहीं। तनु कहती हैं कि पैनल से डिसएग्री करने का एक तरीका होता है। उनसे आप रीजन या तर्क के आधार पर डिसएग्री कर रहे हैं तो पैनलिस्ट इसे पॉजिट‍िवली लेते हैं। लेकिन किसी प्वाइंट पर बहस करना डिसएडवांटेज की तरफ ले जाता है।

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तनु कहती हैं कि मेरा इंटरव्यू को लेकर तर्जुबा धीरे धीरे बना। मैं जब सेलेक्ट नहीं हुई तो विश्लेषण किया कि पहले इंटरव्यू में क्या गल‍त‍ियां की। मुझे समझ आया कि मैं शुरुआत से ही डिबेटिंग में भाग लेती थी। मुझे लगता था कि आउट स्पोकेन होना बहुत मददगार रहेगा। लेकिन पहले इंटरव्यू के बाद समझ आया कि इंटरव्यू कनर्वसेशन से ज्यादा फॉर्मल कनवर्सेशन है। इसके नियम मुझे बाद में समझ आए। तनु कहती हैं कि आप एक उदाहरण से स‍मझिए। जैसे मैं पूछूं कि रामायण में राम कैसे योद्धा थे। इसका एक जवाब है कि अयोध्या के राजा दशरथ थे, उनके चार पुत्रों में ज्येष्ठ पुत्र राम थे, उन्होंने बचपन से ही ट्रेनिंग की। सीता माता उनकी पत्नी थी, जिनका रावण ने अपहरण कर लिया। उन्होंने रावण को युद्ध में हरा दिया।

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फिर दूसरे रूप में इसे ऐसे कहा जाए कि राम दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र थे, उन्होंने बचपन से रण कौशल सीखा। फिर कई जगह प्रमाण दिए। उन्होंने ब्राह्मणों को राक्षसों से बचाया, सुग्रीव की म‍ित्रता के लिए बालि को हराया। अंत में रावण की सेना को हरा दिया। देखने में दोनों एक जैसे जवाब हैं, लेकिन अंतर ये है कि दूसरे में आपने उनकी योद्धा होने के बारे में बताया। इसलिए मैं अभ्यर्थ‍ियों को कहती हूं कि इं‍टरव्यू सिर्फ बोलना नहीं है इसमें आपको कैसे बोलना है, किस प्रायोरिटी में कितना बोलना है। ये मैटर करता है। अगर कम्यूनिकेशन क्ल‍ियर नहीं है तो मिस अंडरस्टुड रहते हैं। मैंने भी यही गलती कि जो दिमाग में आया पट पट बोल दिया, मेरा भी आर्ट‍िकुलेशन ठीक नहीं था। बाद में समझ आया कि बोलना और क्वालिटी बोलना दोनों में अंतर है। इंटरव्यू के मामले में मैंने महसूस किया है कि बिना गाइडेंस के लंबा सफर करना पड़ता है। मुझसे हमेशा ही बहुत स्पेसिफिक सवाल पूछे गए। मैंने डॉक्टरी की पढ़ाई कर रखी थी तो उससे रिलेटेड सवाल भी पूछे जाते थे, जैसे कि अब सिविल सर्विस करने क्यों आए हैं, जब डॉक्टरी कर ली है। एक पैनलिस्ट ने तो ये भी पूछा कि अगर मेरा टीथ खराब है, रूट कैनल होना है तो कैसे होगा प्रोसेस बताइए। मैंने हर सवाल का स्पेसिफिक जवाब दिया।

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तनु ने बताया कि मैं दिल्ली 6 की रहने वाली हूं। मिड‍िल क्लास जैन फैमिली में मेरा जन्म हुआ। मैं बचपन से बहुत ज्यादा पढ़ाकू नहीं थी, खेल कूद में ज्यादा मन लगता था। पढ़ाई में बुरीभी नहीं थी लेकिन ऐसा भी नहीं था कि 99 पर्सेंट लाना है, सोचकर तैयारी करूं। खैर मैंने स्कूली पढ़ाई पूरी करके सुभारती मेडिकल कॉलेज से बीडीएस किया। अपनी इंटर्नशिप के दौरान पता चला कि सिव‍िल सर्विस जैसा कोई एग्जाम होता है। उन्हें बहुत इज्जत की नजर से देखा जाता है। मेरा पर्सनल एक एक्सपीरियंस भी याद आया। मेरे कोई रिश्तेदार हैं जो सिविल सर्वेंट हैं। एक बार स्कॉलरश‍िप फॉर्म पर कुछ राय लेनी थी तो पापा ने कहा कि उनसे पूछ लेते हैं। मुझे तब लगा कि सिविल सर्वेंट को कितना समझदार माना जाता है। मुझे तब कोई गाइड करने वाला नहीं था। मैं अपनी मां के साथ गई कुछ किताबें ले आईं, दोस्त मिल गए और तैयारी शुरू हो गईं। इस परीक्षा को लेकर मैं बस यही टिप्स दे सकती हूं कि आप तैयारी के दौरान खुद को बहुत फोकस रखें।

 

 

 

 

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"दीपक दिल्लीवार, एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में करीब 10 साल का एक्सपीरिएंस है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक ऑनलाइन समाचार वेबसाइट से की थी, जहां उन्होंने राजनीति, खेल, ऑटो, मनोरंजन टेक और बिजनेस समेत कई सेक्शन में काम किया। इन्हें राजनीति, खेल, मनोरंजगन, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और बिजनेस से जुड़ी काफी न्यूज लिखना, पढ़ना काफी पसंद है। इन्होंने इन सभी सेक्शन को बड़े पैमाने पर कवर किया है और पाठकों लिए बेहद शानदार रिपोर्ट पेश की है। दीपक दिल्लीवार, पिछले 5 साल से IBC24 न्यूज पोर्टल पर लीडर के तौर पर काम कर रहे हैं। इन्हें अपनी डेडिकेशन और अलर्टनेस के लिए जाना जाता है। इसी की वजह से वो पाठकों के लिए विश्वसनीय जानकारी के सोर्स बने हुए हैं। वो, निष्पक्ष, एनालिसिस बेस्ड और मजेदार समीक्षा देते हैं, जिससे इनकी फॉलोवर की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। काम के इतर बात करें, तो दीपक दिल्लीवार को खाली वक्त में फिल्में, क्रिकेट खेलने और किताब पढ़ने में मजा आता है। वो हेल्दी वर्क लाइफ बैलेंस करने में यकीन रखते हैं।"