शादी में अग्नि को नहीं बल्कि पानी को माना जाता है साक्षी, फिर पूरा गांव लेता है फेरा, यहां सालों से चल रही परंपरा
शादी में अग्नि को नहीं बल्कि पानी को माना जाता है साक्षी : Bastar adivasis take oath with Water instead of Fire in Marriage
The groom reached the bride after walking 28 km
Bastar adivasis take oath with Water आमतौर पर भारतीय समाज में देखा जाता है कि शादी के दौरान अग्नि को साक्षी माना जाता है। इसकी वजह है ये है कि हिंदु धर्म में अग्नि को सबसे पवित्र माना गया है। मनुष्य की रचना अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश इन 5 तत्वों से मिलकर हुई है और अग्नि को भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है। विष्णु ही नहीं शास्त्रों में बताया गया है कि सभी देवताओं की आत्मा अग्नि में ही बसती है। अग्नि के सात फेरे लेते वक्त सभी देवता विवाह के साक्षी बनते हैं। लेकिन भारत में ही कई ऐसी जनजातियां है, जो अग्नि नहीं बल्कि पानी को साक्षी मनाते हैं। ये परंपरा छत्तीसगढ़ के बस्तर में प्रचलित है।
Bastar adivasis take oath with Water छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासी समाज के लोग पानी को साक्षी मानकर शादी की रस्में पूरी करते हैं। ये परंपरा यहां काफी लंबे समय से चली आ रही है। यहां के आदिवासी समाज हमेशा से प्रकृति की पूजा करते हैं। यहां के लोगों ने शादियों में होने वाले फिजूलखर्च पर रोक लगाने के लिए ये परंपरा शुरू की थी।छत्तीसगढ़ का धुरवा समाज शादी में ही नहीं, बल्कि अपने सभी शुभ कार्यों में पानी को साक्षी मानकर रस्में पूरी करता है।
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ये समाज पानी को अपनी माता मानता है। इसलिए पानी को बहुत ज्यादा अहमियत देता है। धुरवा समाज मूल रूप से बस्तर के ही रहने वाले हैं। धुरवा समाज की पुरानी पीढ़ी कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के पास रहती थी। इसलिए लगातार कांकेर नदी के पानी को साक्षी मानकर शुभ कार्य करती थी। आज भी कांकेर नदी से पानी लाकर नवदंतियों पर छिड़का जाता है और शादी की रस्में पूरी की जाती हैं।

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