महाशिवरात्रि पर हुआ चमत्कार, भगवान भोलेनाथ को नमन करने पहुंचे खुद नाग देवता, देखिए वीडियो
महाशिवरात्रि पर हुआ चमत्कार, भगवान भोलेनाथ को नमन करने पहुंचे खुद नाग देवता! Mahashivratri par hua chamatkar
नई दिल्ली: Mahashivratri par hua chamatkar देशभर में आज महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर शिवालयों में शिव भक्तों की भीड़ सुबह से ही मंदिरों में देखने को मिल रहा है। वहीं, महाशिरात्रि पर सोशल मीडिया में एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में एक नाग शिवलिंग से लिपटे हुए नजर आ रहे हैं।
Mahashivratri par hua chamatkar इस वीडियो में नाग शिवलिंग पर लिपटकर अपना फन फैलाए हुए दिखाई दे रहा है। इस वीडियो को देखकर ऐसा लग रहा है, जैसे नाग भी शिव जी की आराधना कर रहा है। यह वीडियो कहां का है इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन शिवरात्रि के दिन इस तरह का वीडियो सामने आना कुछ लोग चमत्कार मान रहे हैं।
इसलिए मनाया जाता है महाशिवरात्रि
शिव पुराण की कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार सृष्टि में प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।
64 जगहों पर प्रकट हुए शिवलिंग
एक और कथा यह भी है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग विभिन्न 64 जगहों पर प्रकट हुए थे। उनमें से हमें केवल 12 जगह का नाम पता है। इन्हें हम 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं। दीपस्तंभ इसलिए लगाते हैं ताकि लोग शिवजी के अग्नि वाले अनंत लिंग का अनुभव कर सकें। यह जो मूर्ति है उसका नाम लिंगोभव, यानी जो लिंग से प्रकट हुए थे। ऐसा लिंग जिसकी न तो आदि था और न ही अंत।
शिव और शक्ति का मिलन
महाशिवरात्रि को पूरी रात शिवभक्त अपने आराध्य का ध्यान करते हुए जागरण करते हैं। शिवभक्त इस दिन शिवजी का विवाह उत्सव मनाते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। माना जाता है कि शिवरात्रि के 15 दिन पश्चात होली का त्योहार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है।
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