Patan vs Rajnandgaon: सीएम दो पर दावें सौ.. आखिर क्या है भूपेश बघेल और डॉ रमन सिंह के इलाको में विकास का हाल, देखें ये रिपोर्ट
Patan vs Rajnandgaon सीएम दो पर दावें सौ.. आखिर क्या है भूपेश बघेल और डॉ रमन सिंह के इलाको में विकास का हाल, देखें ये रिपोर्ट
Patan vs Rajnandgaon
रायपुर: राजधानी से सटा है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विधानसभा क्षेत्र, ‘पाटन’। रायपुर के महादेव घाट के उस पार जाते ही आप पाटन क्षेत्र में होते हैं। 1993 से लेकर अब तक 30 सालों में सिर्फ 2008 के चुनाव को छोड़ दें, तो यहां से सिर्फ भूपेश बघेल चुनाव जीतते आए हैं। अब तक वो विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में अपने क्षेत्र की जनता की सेवा कर चुके हैं लेकिन पिछले पांच साल में जो काम हुए हैं आज उसी की करेंगे पड़ताल। सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य हर एक मुद्दों को विकास के तराजू पर तौलेंगे। आज पहले करेंगे सड़क पर बात।
पिछले चार-पांच सालों में अकेले पाटन विधानसभा क्षेत्र में 427 किलोमीटर सड़कों कायाकल्प हुआ है। पिछले चार-पांच सालों में अकेले पाटन विधानसभा क्षेत्र में 427 किलोमीटर सड़कों कायाकल्प हुआ है। या तो नई सड़कों का निर्माण हुआ है, या फिर सिंगल रोड सड़क को चौड़ा कर टू लेन या फोर लेन सड़क में बदल दिया गया। पूरे पाटन विधानसभा क्षेत्र में करीब 1 हजार करोड़ रुपये खर्च कर चमचमाती नई सड़कों का जाल बिछा दिया गया है। आप चाहें जिस तरफ से पाटन क्षेत्र में प्रवेश करेंगे, शानदार चमचमाती और नई सड़कें आपका स्वागत करती नजर आएंगी।
हालांकि मुख्यमार्ग की इस चमक के नीचे इलाके के कई किसानों के दर्द भी दबे हैं। दरअसल, कई गांवों के किसानों की शिकायत है कि सड़क चौड़ीकरण में उनकी जमीन गई, लेकिन आज तक उनका मुआवजा नहीं मिला। हालांकि, पाटन क्षेत्र की मुख्य सड़कों की ये चमक ग्रामीण क्षेत्रों की बदहाल सड़कों के आगे फीकी पड़ती नजर आती है। कई गांवों की गलियां कीचड़ और पानी में डूबी नजर आती है। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग इन्हीं कीचड़ और पानी से होकर निकलते नजर आते हैं।
अब बात राजनांदगाँव की
राजनांदगांव जिले के 5 विधानसभा सीटों में से एक सीट राजनांदगांव विधानसभा की भी है। राजनांदगांव शहर और आसपास के 103 गांवों से मिलकर बनी ये विधानसभा सीट प्रदेश के चुनिंदा हाईप्रोफाइल विधानसभा सीटों में से एक है, क्योंकि प्रदेश में 15 सालों तक मुख्यमंत्री रहने वाले डॉ. रमन सिंह यहीं से विधानसभा चुनाव लड़ते हैं। साल 2008 में वो पहली बार यहां से चुनाव लड़े और तब से लगातार चुनाव जीतते आए हैं। 10 सालों तक बतौर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह राजनांदगांव विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे और आज जब भाजपा की सरकार नहीं है, तब भी रमन सिंह यहां से विधायक हैं। करीब 2 लाख मतादाता वाले इस विधानसभा में 2008 तक कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन पिछले 15 सालों से ये सीट रमन सिंह का गढ़ या यू कहें भाजपा के लिए सुरक्षित सीट बन चुकी है। लेकिन, सवाल ये है कि 10 सालों तक प्रदेश को मुख्यमंत्री देने वाला ये क्षेत्र विकास के कितने पायदान चढ़ पाया। बिजली, सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार जैसे बेसिक मापदंडों पर कितना खड़ा उतर पाया और मौजूदा मुख्यमंत्री के क्षेत्र पाटन की तुलना में भूतपूर्व मुख्यमंत्री का क्षेत्र कितना विकास कर पाया ये जानना जरुरी था।
हमने इसकी शुरूआत क्षेत्र की सड़कों के हालात जानने से की, तो फिर जो तस्वीर सामने आई वो हैरान करने वाली थी। राजनांदगांव से सुरगी तक जाने वाली सड़क की हालत बदतर थी। बड़े बड़े गड्ड़ों से हिचकोले खाती गाड़ियां निकल रही थीं।
सुरगी रोड की खस्ताहाल स्थिति से करीब 20 हजार की आबादी कई सालों से त्रस्त है। इसे ठीक करने के लिए कई बार भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टी के लोग धरना, प्रदर्शन कर चुके हैं। खुद सीएम भूपेश इसे ठीक करने की घोषणा भी कर चुके हैं, फिर भी हालात जस के तस हैं।
राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र के एक मुख्य मार्ग की ये हालात इसलिए भी हैरान करने वाली है, क्योंकि पाटन क्षेत्र में ढूंढने से भी किसी मुख्यमार्ग में आपको कोई एक गड्ढा नहीं मिलेगा। तो क्या ये सजा इलाके के लोगों को जानबूझकर दी जा रही है, क्योंकि सरकार कांग्रेस की है, और इस क्षेत्र से विधायक रमन सिंह है। इसका जवाब जनता हां में देती है। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रमन सिंह की नाकामी के रुप में, और जिले के कलेक्टर जल्द ठीक हो जाने के भरोसे के रूप में।
हालांकि राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में शहर की सड़कें थोड़ी सुकून जरुर देती हैं लेकिन ये सड़कें रमन सिंह काल की हैं। जिला प्रशासन का आंकड़ा है, पिछले साढ़े चार सालों में राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क विकास योजना के तहत 15 किमी नई सड़क बनी है। जिस पर करीब 14 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। सुगम सड़क योजना में करीब ढाई किलोमीटर सड़क बनी, पैसे खर्च हुए है करीब दो करोड़। जबकि, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों के मरम्मत पर 18 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यानि, कुल मिलाकर 35 करोड़ रूपये सड़क के रखरखाव और नए निर्माण पर खर्च हुए हैं। जबकि, पाटन विधानसभा क्षेत्र में पिछले साढे चार सालों में ही यह आंकड़ा 1 हजार करोड़ से ज्यादा है। नतीजा, राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में ग्रामीण और आउटर की ज्यादातर सड़कें खराब ही दिखती हैं।
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