Gwalior Vidhansabha Chunav 2023: नेताओं से लेकर आम आदमी को 3 दिंसबर का इतंजार, कई नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर लगा दांव
Gwalior Vidhansabha Chunav 2023: नेताओं से लेकर आम आदमी को 3 दिंसबर का इतंजार, कई नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर लगा दांव
Gwalior Vidhansabha Chunav 2023
Gwalior Vidhansabha Chunav 2023: मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव का मतदान हो गया है। अब नेताओं से लेकर आम आदमी को 3 दिंसबर का इंतजार है। 3 दिसंबर की तारीख मध्य प्रदेश की नई सरकार बनाएंगी। तो वहीं कई नेताओं के राजनीतिक जीवन पर उदय करने के साथ उनके राजनीतिक जीवन पर प्रश्न चिंह भी लगा देंगी। अगर ग्वालियर-चंबल की बात की जाएं तो यहां उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जो कि इस विधानसभा में खुद बीजेपी के कैंडिटेड है। इसके साथ ही कांग्रेस के बड़े नेताओं के राजनीतिक भविष्य दांव पर लगे हुए हैं। हांलकि दोनों दल के नेता अपनी सरकार बनाने के दावें कर रहे हैं। 2020 में हुए दलबदल के बाद यहां की राजनीति में काफी कुछ बदल गया है। इस क्षेत्र से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के अलावा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी प्रतिष्ठा दांव पर है।
26 सीटों पर कांग्रेस ने जमाया कब्जा
कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजिय सिंह का भी इस क्षेत्र में खासा दबदबा दिखता रहा है और इस चुनाव में उन्हें भी बड़ी जीत की आस होगी। क्योंकि साल 2018 में कांग्रेस ने बीजेपी का ग्वालियर-चंबल संभाग में पूरी तरह से सफाया कर दिया था। इस चुनाव में बीजेपी को इस संभाग की 8 जिलों की 34 सीटों में से महज 7 सीटों पर जीत मिल सकी थी। जबकि कांग्रेस ने 26 सीटों पर कब्जा जमाया था। एक सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई थी। लेकिन कांग्रेस को उम्मीद है। फिर से लोगों का बहुमत उन्हें मिलेगा।
2020 में सिंधिया ने की थी पार्टी से बगावत
ग्वालियर और चंबल संभाग में 8 जिले आते हैं जिसमें चंबल क्षेत्र में 3 जिले भिंड, मुरैना और श्योपुर पड़ते हैं तो ग्वालियर क्षेत्र में ग्वालियर के साथ-साथ गुना, शिवपुरी, दतिया और अशोकनगर जिले आते हैं। 34 में से 26 सीटों पर कब्जा करने वाली कांग्रेस के पास सत्ता लंबे समय तक बरकरार नहीं रह सकी क्योंकि कमलनाथ की सरकार का 15 महीने के बाद पतन हो गया।
प्रदेश की सियासत में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदले और कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई। अपनी अनदेखी से नाराज ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कद्दावर कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साल 2020 में पार्टी से बगावत कर दिया। सिंधिया अपने 24 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। राज्य में हुए इस भारी दलबदल से कमलनाथ सरकार का पतन हो गया। शिवराज सिंह चौहान ने दलबदल का फायदा उठाया और बहुमत जुटाते हुए चौथी बार एमपी के मुख्यमंत्री बन गए।
बता दें कि भले ही इस क्षेत्र को ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के गढ़ के रूप में माना जाता हो, लेकिन ग्वालियर-चंबल संभाग में अनुसूचित जाति के वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है और ये वोटर्स किसी भी दल का खेल बिगाड़ देने की स्थिति में रहते हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग में गुना, अंबाह, डबरा, भांडेर, गोहद, करैरा और अशोकनगर सीटें दलित वर्ग के लिए आरक्षित हैं। हालांकि बीजेपी का दावा है उन्हें सरकार बनाने का बहुमत मिलेगा। प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनेगी।
Gwalior Vidhansabha Chunav 2023: बहरहाल ग्वालियर-चंबल संभाग में अपनी-अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए केंद्रीय मंत्रियों ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के साथ-साथ कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी अपने गढ़ में पूरी ताकत लगाए हुए हैं। तो वहीं बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी भी अपना पूरा दम लगाए हुए हैं। अब 3 दिसंबर को जब मतगणना होगी तब पता चलेगा कि मतदाताओं ने किस दल पर ज्यादा भरोसा जताया है।

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