भोपाल: Shivraj Singh Chauhan emotional मांगने से बेहतर है मरना। इस बयान में कुछ दिल टूटने की टीस है। तो न झुकने का स्वाभिमान भी अगर दर्द है तो कुछ हद तक आक्रोश भी है। और ये बयान किसी और का नहीं बल्कि शिवराज सिंह चौहान का है। जो कल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे। लेकिन कल नहीं रहेंगे। बीजेपी के अब तक के तमाम मुख्यमंत्रियों में से सबसे लंबा कार्य़काल जिस मुख्यमंत्री के नाम है। जिनकी छवि हमेशा से एक सौम्य, सुलझे , संवेदनशील और संगठन के प्रति समर्पित नेता की रही है। आखिर उनके इस बयान के क्या मायने हैं। ये महज एक भावुक बयान है या फिर इसमें कोई संदेश है। पहले आपको एक रिपोर्ट दिखाते हैं।
Shivraj Singh Chauhan emotional मांगने से मरना भला पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आज ये बड़ा बयान दिया है। इसे शिवराज का दर्द कहें या उनकी टीस दिल में दबी कसक आज जुबान पर आ गई। चार बार मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद 2023 में सत्ता विरोधी लहर की अटकलों के बावजूद भाजपा ने मध्यप्रदेश में बंपर जीत दर्ज की। लेकिन जीत सेहरा शिवराज के सिर ना बंध सका और भाजपा ने सीएम की कुर्सी पर मोहन यादव को बिठा दिया। चुनाव प्रचार के दौरान लाडली बहनों से शिवराज ने कहा था कि भाजपा सरकार नहीं आई तो शिवराज भैया बहुत याद आएंगे।
अब जब लाडली बहनों ने भरपूर भरोसा जताते हुए भाजपा को जीत दिलाई तो एमपी की राजनीति में शिवराज का कद बहुत बड़ा हो गया.. लोगों को उम्मीद थी कि शिवराज एक बार फिर सीएम की कुर्सी संभालेंगे लेकिन भाजपा ने चौंकाते हुए मोहन यादव के नाम पर मुहर लगा दी । भाजपा की रीति नीति के अनुसार शिवराज ने हाईकमान के आदेश को बिना किसी विरोध के तुरंत स्वीकार कर लिया। लेकिन सरल, सौम्य और जमीन से जुड़े शिवराज के लिए वो पल शायद इतना भी आसान नहीं रहा। कल फैसले के बाद आज शिवराज का दिल भर आया.. प्रेस कॉन्फ्रेस से पहले जब उन्होंने लाडली बहनों से मुलाकात की तो लाडली बहनों के आंसुओं ने शिवराज के दिल को भी पिघला दिया।
इसके बाद शिवराज के दिल में दबी कसक जुबां पर आ गई। उन्होंने कहा कि उनके फैसले से किसी को तकलीफ हुई हो तो वो इसके लिए माफी मांगते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि वो कभी दिल्ली नहीं गए। मांगने से बेहतर मरना समझता हूं। आगे पार्टी जो भी काम देगी, वो करेंगे.. पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया और अब पार्टी को देने का वक्त आ गया है।
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के इस बयान के बाद मध्यप्रदेश की सियासत में इसके मायने तलाशे जा रहे हैं। उनकी भूमिका और भविष्य की रणनीति पर कयासों का बाजार गर्म होता जा रहा है।