IBC24 Bhuiyan Ke Bhagwan: कृषि के क्षेत्र में नई-नई खोज कर रहे हैं प्रोफेसर डॉ. लीलाधर सिंह वर्मा, IBC24 की टीम ने किया ‘भुइंया के भगवान’ का सम्मान
IBC24 Bhuiyan Ke Bhagwan : हर साल की तरह इस बार भी छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश का प्रतिष्ठि चैनल IBC24 भुइंया के भगवान सम्मान कार्यक्रम लेकर आया है।
रायपुर : IBC24 Bhuiyan Ke Bhagwan : माटी की कोख से जब भी कोई नन्हा पौधा झांकता है, समझ लीजिए वो किसान के पसीने से नहाकर जीवंत हुआ है। किसान वो है जो खुद कष्ट सहकर दुनिया का पेट भरता है। मौसम से लड़कर, चुनौतियों को हराकर अपनी जिंद से वो खेतों हरा-भरा करता है। अनाज का हर दाना ऋणी होता है किसान का और उतने ही कृतज्ञ हम सब हैं, क्योंकि किसान न होते तो शायद हमारी विकास यात्रा ऐसी न होती। बदलते पर्यावरण और आबादी के दबाव के बीच देश का किसान सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रहा है, लेकिन इस दौर में भी कई किसान अपनी तदबीर से तक़दीर बदलने में कामयाब रहे हैं। हर साल की तरह इस बार भी छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश का प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 भुइंया के भगवान सम्मान कार्यक्रम लेकर आया है। इस कार्यक्रम में 11 किसान, 1 किसान समूह, 2 कृषि वैज्ञानिक और 1 ऐसे उद्यानिकी विभाग को भुइंया के भगवान सम्मान देने जा रहे हैं, जिन्होंने खेती को अपने इनोवेशन से आसान बनाने की कोशिश की। IBC24 प्रदेश के हौसलामंद किसानों को सम्मान का एक मंच दे रहा है। हमने ईश्वर को नहीं देखा, लेकिन अगर उसकी कोई सूरत होगी। तो यकीनन वो किसान जैसे ही होगी। हमारी नज़र में किसान इस माटी के मान है, वो भुइंया के भगवान हैं।
BC24 Bhuiyan Ke Bhagwan : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. लीलाधर सिंह वर्मा लगातार कृषि के क्षेत्र में नई-नई खोज कर रहे हैं। प्लोरिकल्चर और लैंडस्केप डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. लीलाधर सिंह वर्मा 15 साल से टिशू कल्चर प्लांट को विकसित कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में नारियल और लीची की नई किस्म के उत्पादन का श्रेय भी डॉ वर्मा को जाता है। बस्तर में नारियल की नई किस्म ‘केरा बस्तर’ और सरगुजा में लीची की फसल आज इलाके की पहचान बन गई हैं। नारियल की खेती के लिए अनुकुलता विकसित करने का काम प्रोफेसर लीलाधर सिंह वर्मा ने किया और आज बस्तर क्षेत्र में नारियल की सबसे अच्छी फसल ली जा रही है। डॉक्टर लीलाधर सिंह ने छत्तीसगढ़ समेत देश के अन्य हिस्सों में अब तक 10 लाख से अधिक टिशू कल्चर पौधों की आपूर्ति की है। डॉक्टर लीलाधर वर्मा फूलों के मूल्य संवर्धन पर भी कार्य कर रहे हैं। वे अब कृषि विश्वविद्यालय के लैब में केले और गन्ने के टिशू कल्चर पौधों का उत्पादन कर रहे हैं। डॉक्टर लीलाधर सिंह वर्मा के इस सराहनीय कार्य के लिए ‘भुइंया के भगवान’ सम्मान देते हुए हमें गर्व महसूस हो रहा है।

Facebook



