बिहार विधानसभा: मानसून सत्र के दूसरे दिन एसआईआर को लेकर हंगामा
बिहार विधानसभा: मानसून सत्र के दूसरे दिन एसआईआर को लेकर हंगामा
पटना, 22 जुलाई (भाषा) बिहार विधानसभा में मंगलवार को विपक्षी विधायक मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के विरोध में काले कपड़े पहनकर पहुंचे और इस मुद्दे पर हंगामा किया। उन्होंने आसन के समक्ष आकर फर्नीचर पलटने की कोशिश की और मार्शलों के साथ उनकी धक्का-मुक्की हुई।
अपराह्न दो बजे सदन की कार्यवाही पुनः शुरू होने पर अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने जल्दबाजी में दिन का विधायी कार्य निपटाया और हंगामे के कारण लगभग आधे घंटे बाद कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले, इसी तरह के हंगामे के कारण पूर्वाह्न 11 बजे कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनटों के भीतर सदन को भोजनावकाश तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।
सदन की कार्यवाही पुनः शुरू होते ही विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव अपने स्थान पर खड़े होकर मांग करने लगे कि एसआईआर पर तुरंत चर्चा की अनुमति दी जाए, जिस पर अध्यक्ष सहमत नहीं हुए।
इससे विपक्षी सदस्य अपनी सीटों से खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। उनमें से कई सदस्य आसन के सामने आ गए और रिपोर्टिंग स्टाफ के लिए रखे गए फर्नीचर को उलटने की कोशिश करने लगे।
अध्यक्ष बार-बार यह कहते सुने गए, ‘‘कृपया ऐसा कुछ न करें जिससे कर्मचारियों को चोट पहुंचे। आपके व्यवहार का सीधा प्रसारण हो रहा है और चुनाव से पहले इससे आपकी लोकप्रियता में कोई इज़ाफ़ा नहीं होगा। आसन को कोई कड़ी कार्रवाई करने के लिए बाध्य न करें।’’
विपक्ष के कुछ विधायकों की आसन के सामने मार्शलों के साथ धक्कामुक्की भी हुई, जो सदस्यों द्वारा लहराए जा रही तख्तियां और पोस्टर छीनने की कोशिश कर रहे थे।
कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित होने के बाद विपक्षी विधायकों ने अध्यक्ष के कक्ष के बाहर प्रदर्शन किया और कहा कि जब तक एसआईआर पर चर्चा नहीं होती, वे कार्यवाही नहीं चलने देंगे।
राज्य विधानसभा चुनाव से महज चंद महीने पहले निर्वाचन आयोग ने एसआईआर का आदेश दिया है।
बिहार में विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दलों – राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और तीन वामपंथी दलों का आरोप है कि इस कवायद का उद्देश्य सत्तारूढ़ राजग को लाभ पहुंचाना है, ताकि उन मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए जा सकें, जो भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन का समर्थन नहीं करते हैं।
तेजस्वी यादव ने सोमवार को अध्यक्ष से मुलाकात कर अनुरोध किया था कि पांच दिवसीय मानसून सत्र के दौरान एसआईआर पर चर्चा कराई जाए।
उन्होंने मंगलवार को पत्रकारों से कहा, “ हमने एक स्थगन प्रस्ताव रखा था, जिसे दुर्भाग्यवश अध्यक्ष ने अस्वीकार कर दिया। मुद्दे महत्वपूर्ण थे। एसआईआर ने कई सवाल उठाए हैं, जैसे कि उन लोगों का क्या होगा जो रोज़गार के लिए कहीं और रह रहे हैं, लेकिन चुनाव के दौरान वोट डालने के लिए वापस आना चाहेंगे।’’
राजद नेता ने दावा किया कि कई अनियमितताएं सामने आई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि कुछ जगहों पर बूथ स्तर के अधिकारी मतदाताओं की ओर से फॉर्म भर रहे हैं और उन पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। ये गंभीर मामले हैं जिन पर चर्चा की ज़रूरत है।’’
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आज सत्र का दूसरा दिन था। चुनाव की घोषणा से पहले यह सदन का आखिरी सत्र होगा। विपक्ष ने निर्वाचन आयोग के समक्ष अपनी आपत्तियां उठाई हैं, लेकिन आयोग हमारी शिकायतों का समाधान करने में विफल रहा है। अब हम विधानसभा के अलावा और कहां जाएं, जो बिहार में लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर है।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि एसआईआर से लोगों की नागरिकता निर्धारित करने का प्रयास किया जा रहा है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमने अध्यक्ष और सरकार दोनों से सदन में चर्चा के लिए विनम्र अनुरोध किया है। हमें आश्चर्य है कि भाजपा और जद (यू) के लोग इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? क्या उन्हें लोगों ने वोट नहीं दिया है?’’
भाषा नोमान नेत्रपाल
नेत्रपाल

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