पटना, 15 अप्रैल (भाषा) जनता दल-यूनाइटेड (जद-यू) ने मंगलवार को दावा किया कि कांग्रेस ने विपक्षी महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव का नाम घोषित करने से कथित तौर पर इनकार करके पूर्व उपमुख्यमंत्री का अपमान किया है।
दिल्ली में मौजूद यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से दोनों दलों के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में मुलाकात की।
यादव ने मीडिया से महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बारे में अटकलें न लगाने का आग्रह किया और कहा कि घटक दल आपस में बात करके फैसला करेंगे।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि आप सभी मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर क्यों चिंतित हैं; हम आपस में बात करेंगे और फैसला करेंगे। चीजें स्पष्ट हो जाएंगी, आप सभी को इसके बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए।’’
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में जद(यू) के विधान परिषद सदस्य एवं पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, ‘‘कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को प्रतीक्षा सूची में डाल दिया है। उनके पिता एवं राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद कांग्रेस को अपने बेटे को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के लिए मना रहे थे। ऐसा लग रहा है कि कोई छात्र परीक्षा में बैठने से पहले टॉपर घोषित होना चाहता है।’’
नीरज कुमार ने कहा, ‘‘लालू प्रसाद राजनीतिक रूप से अपंग हो गए हैं। यही वजह है कि वह कांग्रेस से अपमान का घूंट पी रहे हैं। हमें आश्चर्य है कि राजद की राजनीतिक अंतरात्मा को क्या हो गया है।’’
इस बीच, जद(यू) की सहयोगी भाजपा ने भी महागठबंधन के संकट का फायदा उठाने की कोशिश की।
भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने कहा, ‘‘दिल्ली में हुई बैठक में राजद और कांग्रेस के बीच मुख्य मुद्दा सीट बंटवारा नहीं था…..यह स्पष्ट है कि राजद बिहार कांग्रेस की गतिविधियों में कन्हैया कुमार और पप्पू यादव की भागीदारी से असहज है।’’
आनंद ने दावा किया, ‘‘राजद तेजस्वी के पप्पू यादव या कन्हैया कुमार के साथ मंच साझा करने के सख्त खिलाफ है। पिछले चुनाव में तेजस्वी यादव ने यहां तक धमकी दी थी कि अगर राहुल गांधी, कन्हैया कुमार के साथ मंच साझा करेंगे तो वह उनकी रैली का बहिष्कार करेंगे।’’
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘यह देखना बाकी है कि क्या कांग्रेस, राजद के इशारे पर काम करना जारी रखेगी, जैसा कि उसने पिछले 35 सालों में किया है।’’
भाषा सुरेश पवनेश
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