यहां तो डीजीपी सुरक्षित नहीं, ‘बिहार की जनता आज पूरी तरह भगवान भरोसे’ बीजेपी नेता ने कही बड़ी बात…

Arrested the accused who called the DGP by calling himself a judge, given such punishment, your senses will fly away after hearing it.

यहां तो डीजीपी सुरक्षित नहीं, ‘बिहार की जनता आज पूरी तरह भगवान भरोसे’ बीजेपी नेता ने कही बड़ी बात…
Modified Date: November 29, 2022 / 04:11 am IST
Published Date: October 21, 2022 5:07 am IST

पटना ।  स्वयं को पटना उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बताकर एक जालसाज द्वारा बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को फोन करने के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने न्यायिक जांच की मांग की।स्वयं को न्यायाधीश बताकर एक व्यक्ति ने डीजीपी को फोन करके शराब माफिया से मिलीभगत के आरोपी आईपीएस अधिकारी आशीष कुमार की पैरवी की थी और उनके साथ नरमी बरते जाने को कहा था। भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य सरकार से इस मामले में एक ‘‘श्वेत पत्र’’ जारी करने की मांग करते हुए कहा कि पूरा सच पता चलना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि इस तरह के दुस्साहसी धोखेबाज डीजीपी को कॉल करने से नहीं रुके होंगे। उन्होंने कई अन्य अधिकारियों, प्रधान सचिवों और यहां तक कि मुख्य सचिव से भी संपर्क किया होगा। कौन जानता है, उसने मुख्यमंत्री को भी फोन किया हो।’’भाजपा नेता ने कहा कि चूंकि डीजीपी एस के सिंघल खुद फंस गए हैं, इसलिए मामले को सुलझाने में पुलिस की प्रभावशीलता संदिग्ध हो गई।

 

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उन्होंने कहा, ‘‘राज्य की पुलिस का हाल यह है कि एक जालसाज अपने आप को न्यायधीश बताते हुए डीजीपी से गलत काम करवा लेता है और उन्हें पता तक नहीं चलता। अगर सूबे के डीजीपी का यह हाल है तो बाकि पुलिस बल का क्या हाल होगा, इस बात का स्वतः अंदाजा लगाया जा सकता। इससे पता चलता है कि बिहार की जनता आज पूरी तरह भगवान भरोसे हैं।’’ जायसवाल ने कहा कि डीजीपी प्रकरण में फ़िलहाल एक अनियमितता का खुलासा हुआ है लेकिन इससे पता चलता है कि दबाव के जरिए उनसे कुछ भी कराया जा सकता है। उन्होंने मांग की कि सरकार मामले की निष्पक्ष जांच कराए और यह जांच उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा की जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि आईपीएस अधिकारी आशीष कुमार फरार बताए जाते हैं और उन्हें निलंबित कर दिया गया है। कुमार पर गया के एसएसपी (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) रहते हुए शराब माफिया के साथ कथित मिलीभगत करने का आरोप है। इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने एक बयान जारी कर मामले की सीबीआई जांच की वकालत की।

 

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भाजपा का आरोप है कि शहरी स्थानीय निकाय चुनाव के मामले में पटना उच्च न्यायालय के प्रतिकूल फैसले के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। जायसवाल ने मुख्यमंत्री पर समीक्षा याचिका पर जनता के पैसे खर्च करने का आरोप लगाया। इस याचिका को एक दिन पहले सुना और निपटाया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने वास्तव में अपनी समीक्षा याचिका वापस ले ली। उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह सब करने का इरादा था तो उसने उच्चतम न्यायालय के वकीलों की एक सेना क्यों नियुक्त की जो हर पेशी के लिए लाखों रूपये वसूलते हैं। यदि राज्य के महाधिवक्ता किसी मामले में बहस नहीं कर सकते हैं तो उन्हें पद पर बनाए रखने का क्या फायदा।’’ जायसवाल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने एक ही समय में एक नहीं बल्कि एक दर्जन से अधिक समीक्षा याचिकाएं दायर कीं। उन्होंने कहा, ‘‘यह वर्तमान सरकार की अक्षमता के बारे में बहुत कुछ बताता है। महाधिवक्ता, जो अक्सर मंत्री और कानून विभाग के सचिव द्वारा जांचे गए दस्तावेजों पर अपने हस्ताक्षर करने से हिचकते हैं, मुख्यमंत्री आवास से आदेश लेने के बारे में अधिक रुचि रखते हैं।’’

 


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