आरएसएस से सीखने के लिये कुछ नहीं : शकील अहमद खान

आरएसएस से सीखने के लिये कुछ नहीं : शकील अहमद खान

आरएसएस से सीखने के लिये कुछ नहीं : शकील अहमद खान
Modified Date: December 28, 2025 / 05:04 pm IST
Published Date: December 28, 2025 5:04 pm IST

पटना, 28 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस नेता शकील अहमद खान ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय ध्वज का विरोध करने और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग नहीं लेने वाले राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से सीखने लायक कुछ नहीं है।

खान, दिग्विजय सिंह के एक बयान पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।

दिग्विजय ने इस बात पर जोर दिया था कि कांग्रेस को आरएसएस की संगठनात्मक क्षमता से सीखना चाहिए।

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खान ने कांग्रेस के स्थापना दिवस के अवसर पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए पटना के सदाकत आश्रम से गांधी मैदान तक निकाली गई पार्टी की पदयात्रा के दौरान पत्रकारों से कहा, “हमें आरएसएस से क्या सीखना चाहिए? उन्होंने 52 वर्षों तक राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया और 1948 में तिरंगे के खिलाफ बयान जारी किए।”

उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग नहीं लिया था।

कांग्रेस नेता ने कहा, “वे 1942 के आंदोलन में भाग लेने में असफल रहे। सावरकर ने जेल से छूटने के लिए अंग्रेजों से माफी मांगी।”

उन्होंने पूछा, “क्या हमें आरएसएस से ये बातें सीखनी चाहिए?”

खान ने कहा कि दिग्विजय सिंह की टिप्पणी व्यक्तिगत स्तर पर थी और “उन्हें अपनी राय रखने की पूरी आजादी है।”

सिंह ने शनिवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए आरएसएस-भाजपा की संगठनात्मक शक्ति की प्रशंसा की थी।

खान ने मनरेगा योजना को “समाप्त” करने के लिए केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की आलोचना की।

उन्होंने दावा किया, “मनरेगा के तहत कई लोगों को काम मिलता था, स्थानीय स्तर पर काफी काम होता था। किसानों को बहुत फायदा होता था और मजदूरों को गारंटीशुदा काम मिलता था।”

कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा कि राज्यों पर वित्तपोषण का भार डालने के सरकार के फैसले से योजना की प्रभावशीलता कम हो जाएगी।

उन्होंने कहा, “नाम बदलना एक बात है। उन्होंने निश्चित रूप से गलत इरादे से इसका नाम बदलने की हिम्मत की है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अब केंद्र इस योजना के तहत कितना पैसा देगा।”

भाषा जितेंद्र रंजन

रंजन


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