बांका और पटना में प्राचीन संरचनाओं को तलाशने के लिए सर्वेक्षण शुरू |

बांका और पटना में प्राचीन संरचनाओं को तलाशने के लिए सर्वेक्षण शुरू

बांका और पटना में प्राचीन संरचनाओं को तलाशने के लिए सर्वेक्षण शुरू

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:18 PM IST, Published Date : April 14, 2022/1:10 pm IST

पटना, 14 अप्रैल (भाषा) बिहार सरकार ने बांका और पटना जिलों में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण शुरू किया है ताकि इस क्षेत्र में अबतक अज्ञात रहे संभावित प्राचीन संरचनाओं को ढूंढा जा सके।

पुरातत्व निदेशालय के निदेशक दीपक आनंद ने बताया कि बांका के अमरपुर प्रखंड के भदरिया गांव में जीपीआर सर्वेक्षण लगभग पूरा होने की कगार पर है और अब यह पटना जिले में किसी भी क्षण शुरू होगा। उन्होंने बताया कि जहां तक पटना में जीपीआर सर्वेक्षण कराने का सवाल है तो सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं।

हालांकि आनंद ने पटना में उस विशिष्ट क्षेत्र के नाम का खुलासा करने से इंकार कर दिया जहां जीपीआर सर्वेक्षण शुरू किया जाना है।

आनंद ने कहा कि प्रक्रिया शुरू हो गई है और हम जल्द ही अपनी निष्कर्ष रिपोर्ट के साथ सामने आएंगे। भदरिया गांव (बांका) के जीपीआर सर्वेक्षण के निष्कर्षों का विश्लेषण विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है।

इन दो जिलों में जीपीआर सर्वेक्षण कराए जाने की वजह के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत के सबसे प्राचीन शहरों में से एक पटना और बांका में अबतक अज्ञात रहे संभावित प्राचीन संरचना का पता लगाना चाहते हैं। ‘‘

आनंद ने कहा कि प्राचीन पटना जिसे पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता है, मगध साम्राज्य की राजधानी थी। पाटलिपुत्र ज्ञान भूमि थी और यह आर्यभट्ट, वात्स्यायन और चाणक्य सहित कई खगोलविदों और विद्वानों की धरती रही है।

उन्होंने कहा कि यही हाल बांका का है। बांका में मंदार पर्वत के हिंदू पौराणिक कथाओं में कई संदर्भ हैं। पुराणों और महाभारत में पाए गए संदर्भों के अनुसार इस पहाड़ी का उपयोग समुद्र मंथन से अमृत निकालने के लिए किया गया था।

आनंद ने कहा कि बांका के भदरिया गांव का पुरातात्विक महत्व हाल ही में तब सामने आया जब ग्रामीणों को कुछ प्राचीन ईंटों और ईंटों से बनी संरचनाएं मिलीं।

उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चानन नदी के तट पर हाल ही में खोजे गए पुरातात्विक स्थल का भी दौरा किया था और भदरिया गांव स्थित स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी।

आनंद ने कहा कि अब यह स्थापित हो गया है कि भदरिया गांव एक ऐतिहासिक स्थान है। प्रारंभिक अध्ययनों के अनुसार यहां मिले अवशेष 2600 साल पुराने हैं।

जीपीआर एक भूभौतिकीय विधि है जो ऊपरी सतह की छवि के लिए रडार पल्स का उपयोग करती है। यह गैरविनाशकारी विधि रेडियो स्पेक्ट्रम के माइक्रोवेव बैंड (यूएचएफ/वीएचएफ आवृत्तियों) में विद्युत चुम्बकीय विकिरण का उपयोग करती है और उपसतह संरचनाओं से परावर्तित संकेतों का पता लगाती है। यह तकनीक पुरातात्विक स्थलों और उनकी संरचना की पहचान करने में मदद करती है जिससे संभावित उत्खनन से पहले प्राचीन बस्तियों और मानव निर्मित संरचनाओं की व्याख्या में सहायता मिलती है।

भाषा अनवर मनीषा धीरज

धीरज

 

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