पटना, 28 जुलाई (भाषा) बिहार विधानसभा में बुधवार को तब कटुता का स्थान गर्मजोशी ने ले लिया जब विपक्ष ने अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के इस आश्वासन के बाद अपना रूख बदल कर कार्यवाही में हिस्सा लिया कि सुरक्षा एवं सम्मान से जुड़ी उनकी चिंताओं का उचित निराकरण किया जाएगा।
दो दिन पहले शुरू हुआ मानसून सत्र 23 मार्च की घटनाओं को उठाये जाने के साथ बुरी तरह प्रभावित था। 23 मार्च की घटना में पुलिस ने विधानसभा अध्यक्ष को बंधक बनाए कई विपक्षी सदस्यों को बलपूर्वक बाहर निकाल किया था।
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव न मंगलवार को इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव दिया था जिसे अस्वीकार कर दिया गया। उन्हें बयान देने की अनुमति दे गयी जिसके बाद अध्यक्ष और संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने अपनी बात रखी।
इसपर नाराज विपक्ष ने भोजनावकाश से पहले सत्र को बाधित किया तथा दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर बहिर्गमन किया। कई विपक्षी विधायकों ने यह कहा कि सत्र के बाकी दिनों के लिए कार्यवाही का ‘ बहिष्कार करने’ का निर्णय लिया गया है । सत्र शुक्रवार तक है।
बुधवार को विपक्षी सदस्य विधानसभा के बाहर नारे लगाते नजर आये। उनके हाथों में तख्तियां थीं और उन्होंने हेल्मेट लगा रखा था। विधायक शंका जता रहे थे कि सरकार के विरूद्ध जाने पर उनके साथ फिर दुर्व्यवहार हो सकता है।
लेकिन ऐसा जान पड़ता है कि दोनों पक्षों के बीच कोई समझौता हो गया है और विपक्षी सदस्य कार्यवाही शुरू होने पर अपनी सीटों पर बैठे नजर आये।
कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने इस पर जोर दिया कि विधायकों की सुरक्षा एवं सम्मान का सर्वोच्च महत्व है और उसे दरकिनार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने यह चिंता प्रकट की कि चूंकि उन सदस्यों के विरूद्ध कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है जिन्हें 27 मार्च को अमर्यादित आचरण करते हुए पाया गया, इसिलए इस विषय पर सदन की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में बारीकी से चर्चा हो।
अध्यक्ष ने यह कहते हुए उसपर सहमति दी कि वह बैठक के लिए बुलाये गये किसी भी दल के विधायकों के मस्तिष्क में यह दुविधा नहीं छोड़ना चाहते हैं ।
उसके बाद सदस्यों ने प्रश्न काल एवं शून्य काल के दौरान उत्साह के साथ बहस एवं चर्चा में हिस्सा लिया।
भाषा राजकुमार शाहिद
शाहिद
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