सुरजापुरी, बज्जिका को बढ़ावा देने के लिए बिहार में दो अकादमी स्थापित होंगी |

सुरजापुरी, बज्जिका को बढ़ावा देने के लिए बिहार में दो अकादमी स्थापित होंगी

सुरजापुरी, बज्जिका को बढ़ावा देने के लिए बिहार में दो अकादमी स्थापित होंगी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 03:23 PM IST, Published Date : September 25, 2022/9:05 pm IST

(प्रमोद कुमार)

पटना, 25 सितंबर (भाषा) बिहार सरकार ने स्थानीय भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने के उद्देश्य से राज्य में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली सीमांचल और बज्जिकांचल क्षेत्र में बोली जाने वाली स्थानीय बोलियों -सुरजापुरी और बज्जिका- को बढ़ावा देने के लिए दो नई अकादमी स्थापित करने का फैसला किया है।

शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) दीपक कुमार सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हाल में हुई बैठक में बज्जिका और सुरजापुरी संस्कृति एवं साहित्य को बढ़ावा देने के लिए यहां अलग-अलग केंद्र बनाने का निर्णय लिया गया।

सुरजापुरी, हिंदी, मैथिली और बांग्ला का मिश्रण है, जो बिहार के सीमांचल क्षेत्र -पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले- में बोली जाती है। वहीं, मैथिली से मिलती जुलती बज्जिका मुजफ्फरपुर, वैशाली, पश्चिमी चंपारण और शिवहर जिलों में बोली जाती है।

सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि अन्य बोलियों के प्रचार-प्रसार के लिए गठित आठ केंद्रों की तर्ज पर इन दोनों अकादमी की स्थापना की जाये। उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि सभी अकादमियों को मजबूत करने और उनके प्रभावी कामकाज के लिए इन्हें एक निकाय के तहत लाने के प्रयास किए जाने चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि विभाग वर्तमान में ऐसी सभी अकादमियों को एक निकाय के अंतर्गत लाने के लिए काम कर रहा है।

बिहार सरकार द्वारा लिये गए निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ए.एन. सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान (पटना) के सहायक प्रोफेसर विद्यार्थी विकास ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह सराहनीय कदम है। इन दो बोलियों को बोलने वाले लोगों पर इसका सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक तौर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। राज्य में काफी संख्या में लोग इन दो बोलियों में बात करते हैं।’’

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार में सुरजापुरी भाषियों की कुल संख्या 18,57,930 थी। वहीं, 2001 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर एक अनुमान बताता है कि उस समय बिहार में दो करोड़ लोग बज्जिका बोलते थे।

भाषा शफीक सुरेश

सुरेश

 

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