पटना में विपक्षी नेताओं की बैठक आयोजित करने में खुशी होगी : नीतीश

पटना में विपक्षी नेताओं की बैठक आयोजित करने में खुशी होगी : नीतीश

पटना में विपक्षी नेताओं की बैठक आयोजित करने में खुशी होगी : नीतीश
Modified Date: April 29, 2023 / 07:05 pm IST
Published Date: April 29, 2023 7:05 pm IST

पटना, 29 अप्रैल (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को संकेत दिया कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद विपक्षी नेताओं की बैठक पटना में हो सकती है।

पटना में पत्रकारों से बातचीत में दौरान विपक्षी एकता पर बिहार में बैठक करने के सवाल पर नीतीश ने कहा, ‘‘हम सभी नेताओं के साथ मिलकर बातचीत कर रहे हैं। अभी कुछ और लोगों से बातचीत होनी है। इसके बाद तय होगा कि कहां पर बैठक होगी। बहुत लोगों की राय है कि बैठक पटना में होनी चाहिए। सभी लोगों की राय से यह सब तय होगा। सभी लोग अगर चाहेंगे तो बिहार में जरुर बैठक होगी।’’

जदयू नेता नीतीश ने कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से एक साथ बैठेंगे और 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों के गठबंधन से जुड़े मुद्दे पर चर्चा करेंगे।’’

 ⁠

कर्नाटक विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अभी एक राज्य में चुनावी प्रक्रिया चल रही है। कई दल उस चुनाव में जुटे हैं चुनाव के बाद यह सब (विपक्ष का गठबंधन) होगा। बिहार में सभी पार्टियों के साथ मीटिंग (बैठक) होगी तो यह खुशी की बात होगी। जो भी होगा वह सभी लोगों की राय से ही होगा।’’

विदित हो कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 24 अप्रैल को कोलकाता में नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद अपने समकक्ष से पटना में सभी गैर भाजपा दलों की एक बैठक आयोजित करने का अनुरोध किया था ताकि आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी एकता पर चर्चा की जा सके।

ममता ने नीतीश के साथ कोलकाता में बैठक के बाद कहा था, ‘‘मैंने नीतीश कुमार से सिर्फ एक अनुरोध किया है। जयप्रकाश जी का आंदोलन बिहार से शुरू हुआ। अगर बिहार में सर्वदलीय बैठक होती है तो हम आगे की रणनीति तय कर सकते हैं।’’

नीतीश ने अपने टीएमसी समकक्ष के इस आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘उन्होंने (ममता बनर्जी) तो बोला ही था पटना में बैठक के लिए। हम भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ देश में अधिक से अधिक दलों को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। मैंने हाल ही में कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की। अब मैं अन्य गैर भाजपा दलों से बात करूंगा। मेरा उद्देश्य विपक्षी दलों को लोकसभा चुनाव से पहले एकजुट करना है।’’

ममता से मुलाकात के बाद नीतीश और तेजस्वी ने उसी दिन लखनऊ में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की थी और विपक्षी दलों के गठबंधन पर चर्चा की थी।

टीएमसी और सपा, जो पहले कांग्रेस और भाजपा दोनों को समान दूरी पर रखना चाहते थे, ऐसा लगता है कि उन्होंने अपना रुख बदल लिया है।

इससे पहले नीतीश और तेजस्वी ने 12 अप्रैल को दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से भी मुलाकात की थी।

इसके अलावा नीतीश ने दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की थी जिन्होंने स्वीकार किया था कि यह ‘‘अत्यंत आवश्यक’’ है कि पूरा विपक्ष और देश एक साथ आए तथा केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो।

नीतीश पहले भी कई मौकों पर कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों से 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए हाथ मिलाने की अपील कर चुके हैं।

नीतीश ने अपने नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार को समर्थन देने वाली भाकपा माले के फरवरी में पटना में आयोजित 11वें आम सम्मेलन में कहा था, ‘‘एक संयुक्त मोर्चा भाजपा को 100 से कम सीटों तक कम करने में सक्षम होगा।’’ उन्होंने यह भी दोहराया था कि उनकी प्रधानमंत्री बनने की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से हुई मुलाकात के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उनकी तबीयत खराब थी। दिल्ली में भी हमने उनसे मुलाकात की थी। अब यहां आये हैं तो हमारी उनसे मुलाकात हुई है।’’

राजद सुप्रीमो के करीब सात महीने बाद पटना लौटने के कुछ ही घंटों के भीतर नीतीश उनसे मिलने पूर्व मुख्यमंत्री और लालू की पत्नी राबड़ी देवी के आवास पर गए थे।

बिहार की राजनीति में ‘‘बड़े भाई-छोटे भाई’’ के रूप में चर्चित रहे लालू और नीतीश 1970 के दशक के जेपी आंदोलन के दौरान छात्र नेता थे और बाद तक करीबी सहयोगी रहे।

मंडल युग के बाद एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे दोनों ओबीसी नेता पिछले साल अगस्त में फिर साथ आए और नीतीश ने भाजपा से नाता तोड़कर लालू की पार्टी सहित अन्य समान विचार वाले दलों के साथ मिलकर प्रदेश में महागठबंधन की नई सरकार बनाई।

भाषा अनवर अर्पणा

अर्पणा


लेखक के बारे में