Vande Bharat: बिहार में चुनाव बा..हलचल बेहिसाब बा! ‘तेलंगाना मॉडल’ से कांग्रेस जीतेगी बिहार का दंगल? देखिए पूरी रिपोर्ट
Bihar Electionst: बिहार में चुनाव बा..हलचल बेहिसाब बा! ‘तेलंगाना मॉडल’ से कांग्रेस जीतेगी बिहार का दंगल? देखिए पूरी रिपोर्ट
Bihar Elections | Photo Cedit: IBC24
- CWC मीटिंग में बिहार चुनाव की रणनीति
- 'वोट चोरी' और डबल इंजन सरकार पर हमले हुए
- तेलंगाना मॉडल से कांग्रेस की कोशिश
बिहार: Bihar Elections बिहार की राजधानी पटना में 85 साल बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। महाठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर जारी पसोपेश के बीच ने कांग्रेस बिहार में तेलंगाना मॉडल के जरिए अपनी खोई सियासी जमीन हासिल करने की कोशिश में कर रही है। पटना के सदाकत आश्रम में कांग्रेस राहुल और खरगे की मौजूदगी में कांग्रेस ने चुनाव से पहले, NDA और अपने साथी RJD को भी संदेश दिया। विधानसभा चुनाव के लिहाज से पटना में CWC की बैठक क्यों है अहम?
Bihar Elections पटना के सदाकत आश्रम में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी का झंडा फहराकर किया। नीतीश कुमार के किले में सेंध लगाने और चुनाव से ऐन पहले अपनी जड़ों को मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने बिहार में भी तेलंगाना मॉडल को अपनाया है। कांग्रेस का दक्षिण वाला फॉर्मूला बिहार में कितना काम करता है, ये तो चुनाव के नतीजे बताएंगे, लेकिन कांग्रेस बिहार में बदलाव का नारा जरूर बुलंद कर रही है।
चुनाव से ऐन पहले पटना के सदाकत आ्श्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी समेत सीनियर लीडर की मौजूदगी में करीब साढ़े 4 घंटे तक कांग्रेस की बैठक चली। जिसका मुख्य एजेंडा कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ कांग्रेस का अभियान और आगामी बिहार चुनाव की रणनीति रही। CWC की बैठक में कई अहम प्रस्तावों को पास करने के साथ ही कांग्रेस नेताओं ने डबल इंजन सरकार और चुनाव आयोग जमकर तीर चलाए।
आजादी के 85 साल बाद पटना में मीटिंग का मकसद NDA पर हमला करना था या महागठबंधन में RJD के सामने खुद को बड़ा भाई साबित करना। कांग्रेस की कोशिश चाहे जो भी हो, लेकिन पहले राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा और अब पटना में कांगेस का महामंथन बिहार के सियासी गलियारे में कांग्रेस ने हलचल तो मचा दी है। हालांकि NDA के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस कितना भी कुछ कर ले, उनकी नैया डूबनी तय है।
बिहार की धरती पर इससे पहले CWC की बैठक 1940 में रामगढ़ में हुई थी। यानी रामगढ़ से लेकर सदाकत आश्रम तक काफी कुछ बदल गया है। तब स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी रही कांग्रेस अब विपक्ष का नेतृत्व कर रही है। सवाल ये है कि बिहार में अपनी खोई हुई विरासत को दोबारा हासिल करने में जुटी कांग्रेस सदाकत आश्रम से नया इतिहास रचने में सफल होगी।

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