प्रवीण कुमार गुप्ता (प्रगु)
सीनियर असिस्टेंट एडिटर, IBC24
अभिमान हमें है खुद पर
कि हम ‘हिंदी’ हैं
देश हमारा हिंदी है
वेश हमारा हिंदी है
हम हिंदी में खाते-पीते हैं
हिंदी में ही जीते-मरते हैं
रोटी थाली में हिंदी की
घूंट नीर के हिंदी हैं
हंसी-ठिठोली हिंदी की
करुणा, क्रंदन हिंदी है
वेग पवन का हिंदी है
तो बहती जलधारा हिंदी है
मिलना-जुलना हिंदी है
और बिछड़े तो दुख हिंदी है
हिंदी ही आवेग हमारा
और ठहरे तो हिंदी है
रास्ता-मंजिल, पग-पग हिंदी
जीवन सफर भी हिंदी है
उठकर गिरना, गिरके संभलना
हर सीख बड़ों की हिंदी है
भाषा तो कई एक हैं मगर
खून में बसती हिंदी है
– प्रगु
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3 days ago