भिलाई में 'बीए पास' | Crime कथा |

भिलाई में ‘बीए पास’ | Crime कथा

उनचास साल की थी वो। जिस्म पर उमर का असर दिखने लगा था। लेकिन हसरतें जवान थीं। उम्र का दीया तो जलकर बुझने को था। लेकिन हवस की आग अब भी भभक रही थी। जिस्मानी जरुरत के जुनून ने एक दिन उसे जुर्म के चंगुल में जकड़ लिया।

Edited By :   Modified Date:  September 14, 2023 / 07:42 PM IST, Published Date : September 14, 2023/6:50 pm IST

अनिल तिवारी

असिस्टेंट एडिटर, IBC24

उनचास साल की थी वो। जिस्म पर उमर का असर दिखने लगा था। लेकिन हसरतें जवान थीं। उम्र का दीया तो जलकर बुझने को था। लेकिन हवस की आग अब भी भभक रही थी। जिस्मानी जरुरत के जुनून ने एक दिन उसे जुर्म के चंगुल में जकड़ लिया। जवान तन की प्यास उसे मौत के मुकाम तक ले आई। जिंदगी खत्म होने के बाद सामने आए उसके रंगीन किस्से।

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अक्टूबर महीने की चौदह तारीख थी वो। साल 2017। इंतजार की दोपहर से शाम घिर आई। आशंकाओं के गहरे अंधेरे पसर गए। लेकिन सुबह कोचिंग सेंटर के लिए निकली मैडम वापस घर नहीं लौटी। जुर्म का ये हलफनामा छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर का है। 49 साल की महिला कुलदीप सिविक सेंटर इलाके में कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाती थी। साल 2014 में उसके कोचिंग इंस्टीट्यूट में मनीष यादव नाम का एक स्टूडेंट पहुंचा। अंबिकापुर के गांधीनगर में रहने वाला मनीष कुलदीप कौर के घर पेइंग गेस्ट बनकर रहने लगा। साथ ही वो उसी की कोचिंग में पढ़ने भी लगा। मनीष पढ़ने तो बीकाम का कोर्स आया था, लेकिन मैडम ने उसे ‘बीए पास’ बना दिया। कोचिंग में पढ़ रहे गठीले बदन वाले स्टूडेंट पर नजर पड़ते ही मैडम के अरमानों को मानो परवाज लग गए। दिल काबू में न रहा। बिना देर किये उसने छात्र मनीष यादव से अपने जज्बातों का इजहार कर दियाा। अंबिकापुर का रहने वाला मनीष था तो अच्छे परिवार से लेकिन बदन से फूट रही उसकी जवानी भी मैडम की प्यासी आंखों की अपील को ठुकरा न सकी। हवस के आगे उम्र का दायरा भी सिमटकर रह गया। शुरूआत में कुछ दिन तक तो मनीष को ये सब नयी उम्र की मौज मस्ती का हिस्सा लगा। युवा मनीष की जिंदगी में कुलदीप से पहले कोई और नहीं था। लिहाजा पहले पहल तो उसे इस आग से खेलना अच्छा लगा। उसकी जिस्मानी जरुरत और मैडम के हवस ने सारी शर्मो-हया की दीवार तोड़ दी। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब मनीष का मन कुलदीप से उचटने लगा। वक्त के साथ मनीष को समझ आ गया कि मैडम तो उसके बदन को जिस्मानी आग बुझाने की मशीन समझ रही है। धीरे-धीरे मनीष ने जब इस बेमेल रिश्ते से पीछा छुड़ाने की कोशिश की तो कुलदीप को ये बेहद नागवार गुजरा। उसने मनीष को साफ हिदायत दी की वो उसे यूं छोड़ नहीं जा सकता। वो जैसा कहेगी उसे करना होगा। ऐसा न करने पर कुलदीप मनीष को बेइज्जत भी करती थी। कोचिंग कम्प्लीट होने के बाद मनीष वापस अंबिकापुर लौट गया। लेकिन कुलदीप की जिंदगी से दूर नहीं हो सका। जब जी चाहे कुलदीप उसे कॉल करती। मैसेज करती और फिर से मिलने के लिए बुलाती। जब भी मौका मिलता, मनीष भिलाई आता था। दोनों की मुलाकातें भी होती थीं। मनीष उससे बिलकुल भी नहीं मिलना चाहता था। लेकिन कुलदीप के दबाव के आगे वो हर बार खुद को सरेंडर कर देता था।

Kuldeep Kaur

मृतका कुलदीप कौर 

14 अक्टूबर 2017 को मनीष अपने दो दोस्तों अभय सिंह और योगिता तिग्गा के साथ भिलाई पहुंचा। तीनों मिलकर भिलाई में एक कैफे डालना चाहते थे। जब कुलदीप को मनीष के भिलाई आने का पता चला तो उसने उसे मैसेज करना शुरू कर दिया। बार-बार कुलदीप के कहने पर मनीष उससे मिलने के लिए राजी हो गया। तब दोपहर बाद करीब तीन बजे का वक्त था, जब कुलदीप अपनी कार से मनीष से मिलने के लिए निकली। थोड़ी दूर चलने के बाद उसे पावर हाउस ओवरब्रिज के पास मनीष मिल गया। कुलदीप ने कार से उतरकर मनीष को ही ड्राइव करने को कहा। कार की ड्राइविंग सीट पर बैठते ही बाजू की सीट पर बैठी कुलदीप ने गाड़ी के अंदर ही उसके जिस्म से खेलना शुरू कर दिया। मनीष ने मना किया। लेकिन कुलदीप कहां मानने वाली थी। वो मनीष को कभी ऐसा करने, कभी वैसा करने के लिए कहती रही। मनीष ने ऐतराज जताया, लेकिन कुलदीप किसी भी तरह उसका इनकार सुनने के मूड में नहीं थी। फिर एक सूनी जगह देखकर मनीष ने टॉयलेट करने का बहाना बनाया और कार से उतर गया। थोड़ी देर बाद वो पूरी तैयारी के साथ लौटा। कार की पिछली सीट खोलकर उसने सामने बैठी कुलदीप के गले का दुपट्टा खींचकर कस दिया। कुलदीप छटपटाकर रह गई। कुछ ही देर में उसकी सांसें उखड़ गईं। कुलदीप की लाश को कार की सीट के नीचे लिटाकर मनीष ने ऐसा रख दिया कि किसी को दिखाई न दे। फिर वो ड्राइविंग सीट पर बैठा और गाड़ी लेकर निकल पड़ा। काफी देर ड्राइव करने के बाद उतई में नहर के किनारे उसे एक सुनसान जगह दिखाई दी। जहां रुककर उसने लाश को फेंक दिया। मनीष मैडम की कार लेकर वापस लौट गया।

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Manish Yadav

अपराधी मनीष यादव 

15 अक्टूबर की सुबह भिलाई नगर थाना में रुआबांधा सेक्टर निवासी जसविंदर सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई। 49 साल की कुलदीप मुथरा के लापता होने की सूचना पर गुमशुदगी दर्ज कर पुलिस तलाश में जुट गई। शहर और जिले के दूसरे थानों को कुलदीप की डिटेल बताते हुए इत्तला दी गई कि इस हुलिया की कोई महिला कहीं मिले या दिखे तो बताया जाए। पुलिस की तफ्तीश चल ही रही थी कि उतई के पास एक लाश मिलने की खबर आ गई। मौके पर पहुंची पुलिस को शक हुआ कि कहीं ये लापता हुई मैडम तो नहीं। परिजन पहुंचे तो शक सच में बदल गया। नहर किनारे पड़ी लाश कुलदीप की ही थी। पंचनामा और पोस्टमार्टम के बाद लाश परिजन को सौंप दी गई। लाश की हालत और घटनास्थल की परिस्थितियों से साफ था कि हत्या कहीं और की गई। फिर लाश यहां लाकर फेंकी गई। पोस्टमार्टम में हत्या की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया। तफ्तीश का सिलसिला शुरू हुआ। तब दुर्ग रेंज के आईजी दीपांशु काबरा थे। उन्होंने अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझाने के लिए तत्कालीन एडिशनल एसपी शशिमोहन सिंह के साथ स्पेशल टीम बनाई। पुलिस ने कत्ल का क्लू हासिल करने के लिए शहर और आसपास के इलाकों के करीब 400 सीसीटीवी कैमरे खंगाले।

Dipanshu Kabra

तत्कालीन दुर्ग रेंज के आईजी दीपांशु काबरा

अगले सात दिनों तक पुलिस की तफ्तीश कई मोड़ से होकर गुजरी। जांच के दौरान कोचिंग इंस्टीट्यूट में किसी ने पुलिस को कुलदीप और मनीष के रिश्ते के बारे में बताया। पुलिस ने कुलदीप के दोनों मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल और सीडीआर निकालवाई। ये पता चल गया कि साल 2015-16 के बीच गांधी चौक अंबिकापुर निवासी मनीष यादव और कुलदीप कौर के बीच काफी बातचीत होती थी। लेकिन इसके बाद दोनों के बीच बातचीत बंद हो गई थी। लेकिन एक बात पुलिस को खटक गई, वो ये कि हत्या वाले दिन मनीष और कुलदीप की बातचीत तो नहीं हुई थी। लेकिन दोनों के मोबाइल की लोकेशन एक ही थी। ठीक सात दिनों बाद 23 अक्टूबर को पुलिस कातिल मनीष यादव तक पहुंच गई। लेकिन इन सात दिनों में पुलिस की तफ्तीश कई मोड़ से गुजरी।

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15 अक्टूबर को कुलदीप की लाश उतई में नहर किनारे फेंकने के बाद मनीष यादव उसकी नई कार लेकर अंबिकापुर की ओर रवाना हो गया। उससे बस यहीं चूक हो गई। कार की तस्वीर बेमेतरा के रास्ते में एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। पुलिस को ये फुटेज मिले और वो आगे बढ़ते-बढ़ते अंबिकापुर पहुंच गई। इधर अंबिकापुर पहुंचकर मनीष ने कार की पहचान और अपना गुनाह छुपाने के लिए सफेद रंग की गाड़ी पर काला रंग चढ़ा लिया था। गाड़ी पेंट करने वाला ऑटो गैरेज का मालिक उसका दोस्त था। मनीष पहले भी अपनी तीन और गाड़ियों का रंग बदल चुका था। लिहाजा पेंटर को उस पर कोई शक नहीं हुआ। लेकिन लहू का काला रंग कानून की नजरों से छुप नहीं सका। मनीष ने पूछताछ में पहले तो पुलिस को गुमराह किया। लेकिन पुलिस के पास पुख्ता कॉल डिटेल और सीसीटीवी फुटेज में वो अपने जुर्म पर ज्यादा देर तक परदा डालकर नहीं रख पाया। आखिरकार उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। छह साल तक चले मुकदमे, पेशी, गवाहों के बयान और सबूतों के मद्देनजर दुर्ग जिला अदालत ने आरोपी मनीष यादव को 2023 के सितंबर महीने में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यानी मनीष की सारी उमर सलाखों के पीछे गुजरेगी। इक्कीस साल के मनीष को उम्रदराज महिला से बेमेल रिश्ता बनाने की तो कुलदीप कौर को उसकी बेकाबू जिस्मानी जरूरतों की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। अगर कुलदीप ने अपनी उम्र के साथ टीचर और स्टूडेंट के रिश्ते की मर्यादा का ख्याल रखा होता तो जरायम में जुर्म की ये सनसनीखेज दास्तान दर्ज ही नहीं होती।