#NindakNiyre: करेंसी नोट पर भगवान की तस्वीर असल में भारत की चेतना पर सवाल हैं, केजरीवाल मेजोरिटिज्म से अधिक पीड़ित हो गए

केजरीवाल ने चूंकि यह किसी हास्य के रूप में नहीं कहा बल्कि पूरी संजीदगी से कहा है, तो इसे हास्य मानकर बख्शा नहीं जा सकता। यह बयान सिर्फ भाजपा पर तंज नहीं बल्कि भारतीयों की चेतना का मखौल है।

#NindakNiyre: करेंसी नोट पर भगवान की तस्वीर असल में भारत की चेतना पर सवाल हैं, केजरीवाल मेजोरिटिज्म से अधिक पीड़ित हो गए
Modified Date: November 29, 2022 / 08:32 am IST
Published Date: October 28, 2022 12:05 pm IST

Barun Sakhajee

Barun Sakhajee,
Asso. Executive Editor

बरुण सखाजी. सह-कार्यकारी संपादक

धर्म की राजनीति करना अलग बात है राजनीति में धर्म का मजाक उड़ाना अलग। वास्तव में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल का नोटों पर गणेश, लक्ष्मी की फोटो छापने और इससे अर्थव्यवस्था को पीछे कर देने का बयान हास्यास्पद है। यह सीधे तौर पर हिंदू चेतना पर आघात है। केजरीवाल ने चूंकि यह किसी हास्य के रूप में नहीं कहा बल्कि पूरी संजीदगी से कहा है, तो इसे हास्य मानकर बख्शा नहीं जा सकता। यह बयान सिर्फ भाजपा पर तंज नहीं बल्कि भारतीयों की चेतना का मखौल है। सदा नया, नवीन और बारबार स्वयं को अपडेट रखने वाला सनातन क्या इतना संकीर्ण हो गया है? क्या वह अपनी आस्था को अपनी विज्ञानिक चेतना पर हावी हो जाने देने वाला हो गया है? दक्षिण भारतीय हिंदू विद्वानों ने हाल ही के कुछ वर्षों में धर्म पर शोध, संधान नए सिरे से शुरू किए हैं। इससे समझा जा सकता है कि हिंदुओं में जागरूकता और धर्मगत चेतना किस स्तर की रही है। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में लगातार राजनीति में धर्म का मुलम्मा लगाने की कोशिश ने हिंदुओं और उनकी धार्मिक भावनाओं को नए ढंग से मजाक का पात्र बनाने की कोशिश शुरू की है। केजरीवाल का बयान इसी कोशिश का नतीजा है। अगर इस पर हिंदुओं ने केजरीवाल को प्रश्रय दिया तो यह सिलसिला और भी आगे बढ़ेगा। भाजपा भी हिंदुओं की सियासत कर रही है, लेकिन ऐसे मजाकिया रूप में नहीं।

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केजरीवाल जिस प्रकार से अपनी राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं, वे भाजपा से हिंदुओं वाले मुद्दे हड़पना चाहते हैं। लेकिन धर्म इतना संवेदनशील और संजीदा मुद्दा होता है, जिसमें जरा सी चूक मीलों पीछे कर सकती है। करेंसी नोट पर भगवानों की तस्वीर तक तो ठीक है, लेकिन इसे भारत की गिरती अर्थव्यवस्था से जोड़कर प्रस्तुत करना वास्तव में भद्दा मजाक है। केजरीवाल इससे अपनी राजनीति नहीं चमका रहे बल्कि भारत की चेतना को कमतर बता रहे हैं। यहां मसला सेकुलरिज्म का नहीं बल्कि छद्म धर्मवाद का है। धर्म पुरातन काल का विज्ञान है, जो नव विज्ञान से शनैः शनैः जस्टीफाइ हो रहा है। केजरीवाल का बयान बहुसंख्यकों को मजाक के रूप में लेना चाहिए न कि हिमायत समझना चाहिए।

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Associate Executive Editor, IBC24 Digital