सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया... | When everything came to the senses of loot, what did you do

सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया…

सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया...

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:46 AM IST, Published Date : February 23, 2021/3:16 am IST

-अनिल तिवारी

मधुबाला हिंदी सिनेमा में एक खूबसूरत सपना हैं। जिनकी सुंदरता और अभिनय, एक किंवदंती बन गई। उन्हें ‘वीनस ऑफ द स्क्रीन’ की उपाधि भी मिली। आज 23 फरवरी है। मधुबाला की पुण्यतिथि। मधुबाला पर कई खूबसूरत गीत फिल्माए गए हैं और गीत की अपनी अनूठी विशेषता है। लेकिन एक गीत मधुबाला के जीवन से मेल खाता लगता है। वो सुंदर थी ऐसे कई लोग थे जिन्होंने इस सुंदरता पर पानी डाला। उसे ईमानदार प्यार नहीं मिला और 36 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया छोड़ दी। मधुबाला को प्यार दिलीप कुमार से हुआ और शादी किशोर कुमार से की। खैर ये कहानी बहुत लंबी है, जिसका जिक्र फिर कभी। लेकिन इतना जान लीजिए कि जब मधुबाला बिस्तर पर आखिरी सांसे लेने वाली थीं, तो कई-कई महीने किशोर कुमार उनसे मिलने तक नहीं जाते थे। दर्द से भीगे आखिरी दिनों को आप मधुबाला के एक गीत में देख सकते हैं। 1969 में बनी थी एक फिल्म जिसका नाम ‘एक साल’ है। फिल्म के संगीतकार रवि थे। जिन्होंने गीतकार प्रेम धवन से फिल्म के लिए ये गाना दो बार लिखवाया है और दोनों बार अंतरे अलग-अलग हैं। एक तलत महमूद ने गाया है और दूसरे को आवाज दी है भारत रत्न लता मंगेशकर ने। गीत के खूबसूरत बोल हैं ‘सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया, दिन में अगर चराग़ जलाए तो क्या किया’ गीतकार प्रेम धवन के बारे में कहा जाता है कि फिल्म के किरदार को शिद्दत से महसूस करने के बाद वे लिखते थे। फिल्म के हीरो अशोक कुमार हैं, जिन्होंने सुरेश कुमार की भूमिका निभाई है। मधुबाला इसमें ऊषा सिन्हा बनी हैं और डॉक्टर महमूद हैं। फिल्म में कुलदीप कौर, जॉनी वॉकर, मिनू मुमताज़, मदन पुरी और प्रतिमा देवी भी अच्छी भूमिका में हैं। फिल्म ‘एक साल’ की कहानी कुछ यूं है कि नायिका मधुबाला नायक अशोक कुमार को चाहती है। लेकिन जब नायक उसकी मोहब्बत को महसूस करता है और लौटकर आता है, तो वो कैंसर की मरीज होकर मृत्युशैया पर है। इस भावना, इस प्यार और इस दर्द को अपने दिल की गहराई में उतारकर प्रेमगीत ये खूबसूरत गीत रचा। 7 मई 2001 को मुंबई के जसलोक अस्पताल में प्रेम धवन हार्ट अटैक में चल बसे। दिल को छू लेने वाले गीतों में प्रेम की याद हमेशा बनी रहेगी। खैर गाने पर लौटते हैं। कितनी ही सुरीली धुन हो, आकर्षक संगीत हो। लेकिन यदि बोल गहरे नहीं हों, भाव मीठे नहीं हों, तो फिल्म संगीत मन को स्पर्श नहीं कर पाता। मेरा दावा है कि आज से पहले आपने इस गाने को इतनी शिद्दत और दर्द से महसूस नहीं किया होगा। न ही उस मोहब्बत को, जो मौत के करीब होने पर शिद्दत से महसूस होती है और आपके पास वक्त नहीं होता। गीत के शुरुआत चार पंक्तियों के माध्यम से शुरू होती है और अगर आपने ठीक से सुना नहीं है, तो एक बार फिर से सुनिएगा। चार पंक्तियों के साथ लता मंगेशकर आपको एक नई दुनिया में ले जाती हैं। स्क्रीन पर मधुबाला पियानो बजाते हुए ये गाना गा रही हैं। ध्यान से सुनेंगे, तो पूरी फिल्म की कहानी इस गीत में बयां हो जाती है, जिसमें मोहब्बत है, वफा है, धोखा है और लूट भी।

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न पूछो प्यार की हमने जो हक़ीक़त देखी
वफ़ा के नाम पे बिकते हुए उल्फ़त देखी
किसीने लूट लिया और हमें ख़बर न हुई
खुली जो आँख तो बर्बाद मोहब्बत देखी

सब कुछ लूटा के होश में आए तो क्या किया
दिन में अगर चराग़ जलाए तो क्या किया

मैं वो कली हूँ जो न बहारों में खिल सकी
वो दिल हूँ जिसको प्यार की मज़िल न मिल सकी
पत्थर पे हमने फूल चढ़ाए तो क्या किया

जो मिल ना सका प्यार ग़म की शाम तो मिले
एक बेवफ़ा से प्यारा का अंजाम तो मिले
ऐ मौत जल्द आ ज़रा आराम तो मिले
दो दिन ख़ुशी के देख न पाए तो क्या किया

(लेखक IBC24 के असिस्टेंट एडिटर हैं)

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