छत्तीसगढ़ में 36 जिले ? नए जिलो की राजनीति ! स्पीकर महंत के बयान के क्या हैं सियासी मायने

छत्तीसगढ़ में 36 जिले ? नए जिलो की राजनीति ! स्पीकर महंत के बयान के क्या हैं सियासी मायने

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  • Publish Date - August 18, 2021 / 11:59 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:49 PM IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ का भूगोल एक बार फिर बदल रहा है।  मोहला-मानपुर, सक्ती, सारंगढ़-बिलाईगढ़ और मनेन्द्रगढ़ को जिला बनाने की सीएम की घोषणा के साथ ही छत्तीसगढ़ में कुल 32 जिले हो गए। लंबे वक्त से इन जिलों की मांग की जाती रही है, जाहिर है इनकी मांग पूरी कर भूपेश सरकार ने इलाके के लोगों को बड़ी सौगात दी है। इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने कहा है कि चुनाव से पहले 4 और नए जिले बनाए जाएंगे। बयान सामने आने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में टोटल 36 जिले हो जाएंगे..? अगर ऐसा होता है तो क्या सूबे का राजनीतिक समीकरण भी बदलेगा।

15 अगस्त पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में चार नए जिले मोहला-मानपुर-चौकी, सक्ती, सारंगढ़-बिलाईगढ़ और मनेंद्रगढ़ बनाने की घोषणा की है। जिन चार नए जिलों की घोषणा की गई, उनमें से मोहला-मानपुर चौकी को राजनांदगांव जिले से रायगढ़ के सारंगढ़ और बलौदाबाजार-भाटापारा जिले से बिलाईगढ़ तहसील को मिलाकर एक नया जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ बनाया जाना है। कोरिया जिले से मनेंद्रगढ़ को अलग कर नया जिला बनाया जाना है। इसके अलावा सक्ती को जांजगीर-चांपा जिले से अलग किया जाएगा। सीएम की घोषणा के बाद विधानसभा अध्यक्ष सक्ती विधायक चरणदास महंत एक दिवसीय दौरे पर सक्ती पहुंचे, इस दौरान उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले 4 और नए जिले बनाए जाएंगे।

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विधानसभा अध्यक्ष के इस बयान को सियासी दृष्टिकोण के लिहाज से भी काफी अहम माना जा रहा है। ऐसा करके भूपेश सरकार ने न सिर्फ राजनीतिक बल्कि प्रशासनिक पकड़ को भी मजबूत करने का काम किया है। बल्कि कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में भी नए जिले बनाने की घोषणा की थी। हालांकि सीएम के 4 नए जिलों के ऐलान के बाद कई इलाकों से नाराजगी की खबरें भी सामने आई। भाटापारा और पत्थलगांव को जिला नहीं बनाने पर बीजेपी ने विरोध प्रदर्शन किया..तो वहीं वाड्रफनगर और सरायपाली अंचल के लोगों को भी मायूसी हुई।

जाहिर तौर पर चुनाव से पहले नए जिलों के बनने से सुदूर अंचल के लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में आसानी होगी.. इसका फायदा कांग्रेस को 2023 के विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा…यही वजह है कि..बीजेपी सरकार पर आरोप लगा रही है कि.. उसने राजनीतिक दृष्टिकोण से नए जिले बनाए हैं, जो व्यावहारिक रूप से सही नहीं है। इस तरह जिला बनाने से संतोष कम असंतोष ज्यादा होगा।

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वैसे कभी शिवनाथ नदी के उत्तर में कल्चुरियों की रतनपुर शाखा के अंतर्गत 18 गढ़ और दक्षिण रायपुर शाखा के अंर्तगत 18 गढ़ बनाए गए थे। इन्ही 36 गढ़ के कारण छत्तीसगढ़ नाम पड़ा…तो क्या अब 21 सदी में भी छत्तीसगढ़ में 36 जिले होंगे? इस प्रश्न का जवाब तो फिलहाल अभी किसी के पास नहीं है..लेकिन छत्तीसगढ़ के शासन-प्रशासन, राजनीति, इतिहास, भूगोल और संस्कृति की बारीकी जानकारी रखने वाले चरणदास महंत ने 4 और नए जिलों की बात कही है।
नए जिलों के बनने के बाद छत्तीसगढ़ का भौगोलिक नक्शा भी बदल जाएगा। जिससे सियासी समीकरण बदलने के पूरे आसार हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि नए जिलों के गठन से राजनीति में सबसे ज्यादा फायदा किसे होगा ?