मध्यस्थता कानून में सुधारों की सिफारिश के लिए पूर्व विधि सचिव के नेतृत्व में समिति गठित
मध्यस्थता कानून में सुधारों की सिफारिश के लिए पूर्व विधि सचिव के नेतृत्व में समिति गठित
नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) भारत को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बनाने की कोशिशों के बीच सरकार ने पूर्व विधि सचिव टी. के. विश्वनाथन के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो अदालतों पर से मुकदमों का बोझ कम करने के उद्देश्य से मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में सुधारों की सिफारिश करेगी।
अटॉर्नी जनरल एन वेंकटरमणी केंद्रीय कानून मंत्रालय में कानूनी मामलों के विभाग द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति का भी हिस्सा हैं।
कानून मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव राजीव मणि, कुछ वरिष्ठ अधिवक्ता, निजी कानूनी फर्म के प्रतिनिधि और विधायी विभाग, नीति आयोग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), रेलवे और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के अधिकारी इसके अन्य सदस्य हैं।
समिति के संदर्भ की शर्तों के अनुसार, यह मध्यस्थता अधिनियम के कामकाज सहित देश के वर्तमान मध्यस्थता पारिस्थितिकी तंत्र के संचालन का मूल्यांकन और विश्लेषण करेगी और इसकी मजबूती और कमजोरियों और अन्य महत्वपूर्ण विदेशी अदालतों की तुलना में चुनौतियों को उजागर करेगी।
बुधवार को जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि समिति को 30 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
समिति को आदर्श मध्यस्थता प्रणाली के ढांचे की सिफारिश करने के लिए भी कहा गया है, जो कुशल, प्रभावी और किफायती हो और उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा करता हो।
समिति घरेलू और अंतरराष्ट्रीय वादकारियों के लिए मध्यस्थता सेवाओं के बाजार में प्रतिस्पर्धी माहौल विकसित करने के लिए रणनीति भी तैयार करेगी, जो विशेष रूप से किफायती और उपयोगकर्ताओं के हित में हो।
कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि कानूनी मामलों का विभाग देश में विवाद समाधान के माहौल को सशक्त बनाने और समय-समय पर कानूनों में सुधार के माध्यम से व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रहा है।
विभाग इस दिशा में निरंतर प्रयास के तौर पर मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 की कार्यप्रणाली में और सुधार करने की आवश्यकता पर विचार कर रहा है।
भाषा सुरेश प्रशांत
प्रशांत

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