वामपंथियों के आंखों के तारे..कन्हैया हुए कांग्रेस के दुलारे, अवसर की तलाश है या कोई मजबूरी?

वामपंथियों के आंखों के तारे..कन्हैया हुए कांग्रेस के दुलारे, अवसर की तलाश है या कोई मजबूरी?

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  • Publish Date - September 28, 2021 / 01:02 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:07 PM IST

नई दिल्ली। Kanhaiya kumar join congress : वामपंथियों के आंखों के तारे रहे JNU छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता kanhaiya kumar कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि अचानक ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने कांग्रेस में जाने की सोच ली। सवाल उठ रहे हैं कि यह क्या अवसर की तलाश में हैं या कोई मजबूरी है?

बताया जा रहा है कि कन्हैया कुमार के राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोशन को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के भीतर मतभेद पैदा हो गए थे और शायद इसी वजह से पूर्व छात्रनेता को पार्टी से बाहर होने का निर्णय करना पड़ रहा है। जोरदार भाषण और हिंदीभाषी इलाकों से कनेक्शन के चलते कन्हैया कुमार जनसभाओं में भीड़ खींचने वाले माने जाने लगे थे, यह एक फैक्टर बना जिसके चलते कम्युनिस्ट पार्टी के टॉप नेताओं में एक घबराहट पैदा हो रही थी।

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kanhaiya kumar join congress : खबर यह भी ​है कि कन्हैया कुमार पार्टी की बिहार लीडरशिप से खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे थे। वह अपने लिए पार्टी में एक प्रमुख भूमिका चाहते थे लेकिन नेतृत्व के साथ टकराव की स्थिति बन गई थी। ऐसे में पार्टी के टॉप लीडर अपनी उस विचारधारा पर कायम रहे कि कोई शख्स नहीं बल्कि पार्टी मायने रखती है।

अब सवाल उठ रहे है कि कन्हैया कुमार के पार्टी से बाहर होने का क्या असर पड़ेगा? तो इसके जवाब यह है कि उनके बाहर होने से पार्टी पर कोई बड़ा असर नहीं होगा क्योंकि उसका अपना काडर बेस है और विचारधारा केंद्र में रहती है। पूर्व में किसान नेता और सीपीआई के कद्दावर नेता योगेंद्र शर्मा को पार्टी से सस्पेंड किए जाने के मामले का जिक्र करते हुए एक नेता ने कहा कि पार्टी पर इस घटनाक्रम का कोई असर नहीं हुआ था।

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ऐसा कहा जा है कि ‘सीपीआई एक ऐसी पार्टी है जो व्यक्ति विशेष की बजाय राजनीति और अपनी विचारधारा पर जोर देती है। ऐसे में कन्हैया कुमार का जाना केवल एक अस्थायी झटका है, स्थायी नहीं।’ पार्टी चीफ डी. राजा ने भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। एक अन्य नेता ने कहा कि कन्हैया का पार्टी छोड़ना यह दिखाता है कि उन्होंने अपनी विचारधारा के साथ समझौता कर लिया है और सीपीआई से बाहर अवसरवादी रास्ता ढूंढ़ लिया है।

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