UCC affect the rights of Hindus

UCC से हिंदुओं के अधिकारों पर भी पड़ेगा असर, घट जाएंगे ये अधिकार, कश्मीर से कन्याकुमारी होगा प्रभावित

UCC affect the rights of Hindus यूसीसी से हिंदुओं के भी घटेंगे अधिकार, 5 पॉइंट्स में जानें उत्तराधिकार से टैक्स छूट तक पर कैसे होगा प्रभाव

Edited By :   Modified Date:  June 30, 2023 / 04:48 PM IST, Published Date : June 30, 2023/4:48 pm IST

UCC affect the rights of Hindus: देश में सभी धर्मों, जातियों और समूहों के लिए एक समान कानून बनाने की कवायद अब तेज हो गई है। केंद्रीय विधि आयोग ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सभी से राय मांगी है, जिससे माना जा रहा है कि केंद्र सरकार संसद के मॉनसून सत्र में ही UCC को लेकर बिल पेश कर सकती है। खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ने जिस तरह एक समान कानून पर फोकस रखा, उससे इस कानून के जल्द आने की संभावना और ज्यादा बढ़ गई है।

UCC affect the rights of Hindus: इसके साथ ही इसे लेकर बहस भी तेज हो गई है। राजनीतिक दलों ने भी समान नागरिक संहिता के पक्ष-विपक्ष में अपनी बात रखनी शुरू कर दी है। इसका विरोध कर रहे ज्यादातर राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन इसे मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं। साथ ही केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार पर ‘हिंदू कानून’ थोपने की कोशिश का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन कानून के जानकारों की मानी जाए तो UCC लागू होने पर हिंदुओं के भी बहुत सारे मौजूदा अधिकार प्रभावित होने जा रहे हैं। खासतौर पर उत्तराधिकार से लेकर आयकर से जुड़े कानूनों में हिंदुओं को UCC लागू होने पर बदलाव देखने को मिल सकता है।

UCC बनाने के पीछे क्या हैं तर्क

UCC affect the rights of Hindus: यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने के पीछे देश में सभी के लिए एकसमान कानून रखने का मकसद बताया जा रहा है। UCC लागू होने पर विवाह, तलाक, गोद लेने के नियम सब धर्मों और जातियों के लिए एक जैसे होने की बात कही जा रही है। इसे आमतौर पर मुस्लिम पर्सनल लॉ से जोड़कर देखा जाता है, जहां निकाह, तलाक और गोद लेने आदि के अपने नियम हैं, जिन्हें शरीया कानून कहते हैं। इसी कारण UCC को मुस्लिम विरोधी कहा जा रहा है। हालांकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत UCC को नीति निदेशक तत्व माना गया है। अनुच्छेद 44 के मुताबिक, सभी नागरिकों के लिए एकसमान कानून लागू करना सरकार का दायित्व है। यह अनुच्छेद उत्तराधिकार, संपत्ति अधिकार, शादी, तलाक और बच्चे की कस्टडी के बारे में समान कानून की अवधारणा पर आधारित है।

हिंदू अविभाजित परिवार का मुद्दा बनेगा परेशानी

UCC affect the rights of Hindus: सरकार के लिए UCC के तहत हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) की व्याख्या करना परेशानी का सबब होगा, क्योंकि अन्य धर्मों में ऐसी व्यवस्था नहीं है। इसे UCC में शामिल नहीं किए जाने पर हिंदू परिवारों के उत्तराधिकार सिस्टम प्रभावित होगा, जिससे संपत्ति विवाद पैदा हो सकते हैं। साथ ही HUF के तौर पर आयकर के तहत मिलने वाली बड़ी छूट भी हिंदुओं को नहीं मिल पाएगी। अभी तक HUF यानी हिंदू अविभाजित परिवार को आयकर छूट के दायरे में रखा गया है। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इससे सरकार को 3,000 करोड़ रुपये की राजस्व हानि होने का दावा किया है, लेकिन उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार से यह भी सवाल किया है कि इतनी बड़ी रकम के लिए क्या वह UCC में HUF को खत्म कर पाएगी।

कश्मीर से कन्याकुमारी तक आदिवासी होंगे प्रभावित

UCC affect the rights of Hindus: सबसे बड़ी परेशानी आदिवासी समुदाय के लिए खड़ी होने की संभावना है, जो देश में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर हिस्से में मौजूद हैं और फिलहाल जिनके संरक्षण के लिए स्थानीय स्तर पर अलग-अलग कानून बने हुए हैं। आदिवासी समुदायों का कहना है कि UCC में विवाह, तलाक, विरासत और उत्तराधिकार जैसे कानून एकसमान हो जाएंगे, लेकिन आदिवासियों के इनसे जुड़े कानून अलग-अलग जगह स्थानीय रीति-रिवाज व परंपराओं के हिसाब से अलग-अलग हैं। यही हर जगह के आदिवासियों की अपनी विशिष्ट पहचान है, जो UCC लागू होने से खतरे में पड़ जाएगी। बता दें कि झारखंड में छोटा नागपुर टेनेंसी एक्ट, संथाल परगना टेनेंसी एक्ट, एसपीटी एक्ट, पेसा एक्ट जैसे विशिष्ट आदिवासी कानून हैं। ऐसे ही नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में भी आदिवासियों के अपने कानून हैं। कई आदिवासी समाज में कई पति व कई पत्नी रखने जैसी परंपराएं हैं।

आदिवासी समुदाय कर चुके विरोध

UCC affect the rights of Hindus: झारखंड के 30 आदिवासी संगठन UCC के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग रख चुके हैं। ये संगठन विधि आयोग के सामने भी अपना पक्ष रखेंगे। इसी तरह करीब 94% आदिवासी जनसंख्या वाले मिजोरम की विधानसभा फरवरी, 2023 में ही प्रस्ताव पारित कर UCC का विरोध कर चुकी है। नागालैंड और मेघालय में भी करीब 85 फीसदी जनसंख्या आदिवासी समुदायों की है, जिनकी अपनी परंपराएं और प्रथाएं हैं। मेघालय की खासी हिल्स ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (KHADC) ने भी 24 जून को UCC के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था। यहां खासी के अलावा गारो और जयंतिया समुदाय भी UCC का विरोध कर चुके हैं। इन राज्यों में पहले भी परंपराओं को बदलने की कोशिश करने पर भारी हिंसा हो चुकी है।

आदिवासी समुदायों के पक्ष में संविधान

UCC affect the rights of Hindus: संविधान के हिसाब से देखा जाए तो भी आदिवासी बहुल राज्यों में UCC लागू करने की छूट केंद्र सरकार को नहीं है। इसके लिए बड़े पैमाने पर संविधान संशोधन करना होगा, जो संभव नहीं है। दरअसल आदिवासी बहुल राज्य संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत आते हैं, जो इनकी विशिष्टता को संरक्षित करती है। इसके तहत केंद्र सरकार अपने स्तर पर कोई बदलाव नहीं कर सकती है। मिजोरम में संविधान के अनुच्छेद 371G और नागालैंड में संविधान के अनुच्छेद 371A ने केंद्र सरकार के हाथ बांध रखे हैं। ये दोनों अनुच्छेद इन राज्यों में जनजातीय समूहों की धार्मिक व सामाजिक प्रथाओं को प्रभावित करने वाला कानून सीधे लागू करने से केंद्र सरकार को रोकते हैं। ऐसे कानून केंद्र सरकार तभी लागू कर सकती है, जब उन्हें राज्य विधानसभा में पारित कर मंजूर करा लिया जाए।

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