UP News: टेंट लगाया, फूल सजाया, रंगोली बनाई .. देखें उत्तराखंड से त्रासदी से बच निकलने वाले मजदूर की वापसी पर कैसा था जश्न
लगातार 17 दिनों चले इस अभियान के बाद सभी को सकुशल बाहर लाया जा सका। सभी मजदूर स्वस्थ थे। उत्तराखंड सरकार ने सभी मजदूरों का इलाज कराते हुए उनका अभिनन्दन भी किया था।
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लखीमपुर: पिछले दिनों जिंदगी की जंग जीतकर मौत की सुरंग से बाहर आने वाले मजदूर अब अपने घर पहुँचने लगे है। सरकारों में खुद ही इलाज के उन मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया है। ऐसे में आज सिल्क्यारा सुरंग से बचाए गए श्रमिक मंजीत जब अपने गृहग्राम लखमीपुर पहुंचे तो उनका जोरदार स्वागत किया गया। गाँव भर में जश्न का माहौल था। घर पर टेंट लगाए गए थे तो आंगन को रंगोली से सजाया गया था। इतना ही नहीं बल्कि बेटे मंजीत की वापसी पर दावत का भी प्रबंध किया गया था।
पुलिस के मंजीत अपने घर के आँगन तक पहुंचा घर वालों ने उसे फूलों से लाद दिया। मंजीत की आरती उतारी गई और चंदन भी लगाया गया। इस तरह मंजीत के गाँव में उसकी वापसी के बाद त्यौहार सा माहौल है। मीडिया का हुजूम है तो परिजनों की भीड़ मंजीत को घेरे हुए है।
#WATCH लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश: सिल्क्यारा सुरंग से बचाए गए श्रमिक मंजीत अपने घर पहुंचे। pic.twitter.com/h90eJIsl4m
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 1, 2023
सीएम योगी ने किया स्वागत
बता दे कि इस हादसे की चपेट में आने वाले कुल 41 श्रमिकों में 8 मजदूर उत्तर प्रदेश के अलग अलग जिलों के रहने वाले है। आज सभी आठ श्रमिकों ने सीएम योगी से लखनऊ में मुलाक़ात की। इससे पहले सभी मजदूरों को डालीबाग स्थित अतिथि गृह में ठहराया गया था। सभी मजदूरों से मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर बातचीत की और हालचाल जाना। मजदूरों ने अपने 17 दिनों की टनल के अंदर से बाहर आने तक की कहानी सुनाई। वहीं, सीएम योगी ने शॉल ओढ़ाकर सभी का स्वागत किया। मुलाकात करने के बाद इन्हें यूपी के अलग-अलग जिलों में स्थित इनके घरों में भेजने का प्रबंध किया गया।

चला था वृहद् रेस्क्यू ऑपरेशन
बता दे कि पिछले महीने 12 अक्टूबर को उत्तराखण्ड में उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा में बन रहे सुरंग में बड़ा हादसा सामने आया था। सुरंग की खुदाई में जुटे 41 मजदूर सुरंग के भीतर उस वक़्त फंस गए थे जब टनल के 60 मीटर का एक हिस्सा भरभराकर धंस गया। इसके बाद सभी मजदूरों को बाहर निकालने की तमाम कोशिशे की गई, बड़ी मशीने लगाईं गई बावजूद सफलता नहीं मिली। इसके बाद विदेशी विशेषज्ञों को मौके पर बुलाया गया वही खुदाई के लिए देशज पद्धति का इस्तेमाल किया गया। लगातार 17 दिनों चले इस अभियान के बाद सभी को सकुशल बाहर लाया जा सका। सभी मजदूर स्वस्थ थे। उत्तराखंड सरकार ने सभी मजदूरों का इलाज कराते हुए उनका अभिनन्दन भी किया था।

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