नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) आईबीएम के भारत एवं दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक संदीप पटेल ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि कि दुनिया एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गई है जहां कृत्रिम मेधा (एआई) केवल परिकल्पना न रहकर वास्तविक उत्पाद में तब्दील हो चुकी है और इसके प्रचार की बजाय इसको सही दिशा में आगे बढ़ाने की जरूरत है।
यहां ‘9वीं एआई लीडरशिप मीट’ में पटेल ने कहा कि एआई के प्रभाव को टिकाऊ बनाने के लिए उद्योग को शुरुआती उत्साह से आगे बढ़कर सुरक्षा, निष्पक्षता एवं पारदर्शिता का समर्थन करने वाले सुरक्षा उपायों को लागू करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि हम एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुके हैं, जहां कृत्रिम मेधा केवल वैचारिक कल्पनाओं से आगे बढ़कर उत्पादन-स्तरीय निर्धारकों के रूप में परिपक्व हो गई है और पूरे विश्व में मापने योग्य मूल्य प्रदान कर रही है।’’
पटेल ने कहा, ‘‘ इस प्रभाव को स्थायी बनाने के लिए हमें इसके इस्तेमाल के उत्साह से आगे बढ़कर जिम्मेदारी की भावना को अपनाना होगा। अब सवाल यह नहीं है कि एआई हमारी दुनिया को बदलेगा या नहीं। सवाल यह है कि हम उस बदलाव को जिम्मेदारी के साथ, समानता के आधार पर और व्यापक स्तर पर कैसे आकार देंगे।’’
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी को केवल व्यक्तिगत व्यवसायों के लिए नहीं बल्कि व्यापक हित के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
पटेल ने इस बात पर जोर दिया कि ‘ओपन-सोर्स’ प्रौद्योगिकी आधुनिक एआई मॉडल का मूल है और ‘वेंडर-लॉक-इन’ (विक्रेता निर्भरता) कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘‘ इस ऊर्जा का सार्वजनिक हित में उपयोग करने के लिए हमें साझा मानकों, स्पष्ट प्रलेखन, नैतिक ‘ओपन सोर्स’, मजबूत मूल्यांकन, तथा जिम्मेदार पुनः उपयोग के मार्गों को व्यवस्था में सम्मिलित करना होगा। ’’
उन्होंने सहयोगात्मक शासन के महत्व पर जोर दिया और कहा कि नियामकों एवं उद्योग को सुरक्षा को प्रमाणित करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।
गौरतलब है कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘इंडिया एआई-इम्पैक्ट समिट’ 2026 का आयोजन 19-20 फरवरी 2026 को नयी दिल्ली में किया जाएगा।
भाषा निहारिका नरेश
नरेश
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