Allahabad High Court Judgement on Gratuity | Gratuity Payment Rules

Gratuity Payment Rules: कर्मचारियों की ग्रेच्युटी को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सुनकर खुशी से झूम उठेंगे सरकारी कर्मचारी

High Court Judgement on Gratuity: कर्मचारियों की ग्रेच्युटी को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सुनकर खुशी से झूम उठेंगे सरकारी कर्मचारी

Edited By :   Modified Date:  May 12, 2024 / 01:22 PM IST, Published Date : May 12, 2024/1:22 pm IST

नई दिल्ली: Gratuity Payment Rules  कर्मचारियों को एक निश्चित सेवा अवधि पूरा करने के लिए नियोक्ता की ओर से भुगतान किए जाने वाले ग्रेच्युटी को लेकर लगाई गई याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी को ग्रेच्युटी उसकी सेवा के वर्षों के आधार पर देय होगी न कि जिस उम्र में वह रिटायर होता है। मामले में जस्टिस जे.जे. मुनीर की बेंच में सुनवाई हुई।

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Gratuity Payment Rules  याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जे.जे. मुनीर ने कहा कि “साठ साल की उम्र में रिटायरमेंट कोई ऐसा अधिकार नहीं है, जिससे कर्मचारी को ग्रेच्युटी प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हो जो उसके पास नहीं है। कर्मचारी को ग्रेच्युटी का अधिकार उसके द्वारा सेवा किए गए वर्षों की नंबर के अनुसार मिलता है।”

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याचिकाकर्ता एक सहायता प्राप्त इंटरमीडिएट संस्थान में शिक्षक था, जिसने 57 वर्ष की आयु में स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने का विकल्प चुना। सहायता प्राप्त इंटरमीडिएट कॉलेजों में सेवारत शिक्षकों के लिए नियम बनाने वाले शासनादेश दिनांक 14.12.2011 के अनुसार यह प्रावधान है कि जो लोग दस वर्ष की अर्हकारी सेवा पूरी नहीं करते हैं वे पेंशन के हकदार नहीं हैं, जब तक कि वे साठ वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प नहीं चुनते हैं, ऐसी स्थिति में वे ग्रेच्युटी के हकदार हैं। याचिकाकर्ता उक्त शासनादेश के दायरे से बाहर होने के कारण ग्रेच्युटी के लिए पात्र नहीं था और इस रिट याचिका के माध्यम से इसकी मांग कर रहा था।

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याचिकाकर्ता की ग्रेच्युटी के लिए याचिका को अस्वीकार करने के आदेश में तर्क को त्रुटिपूर्ण पाते हुए न्यायालय ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रयागराज को मामले पर पुनर्विचार करने के लिए समय दिया। इसके जवाब में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने दिनांक 03.05.2024 को एक ज्ञापन जारी किया। उन्होंने मामले पर पुनर्विचार करने से इनकार करने के लिए संयुक्त निदेशक (पेंशन), ​​प्रयागराज मंडल द्वारा उठाई गई आपत्ति का हवाला दिया।

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