कच्चे जूट की कीमत संशोधित कर 7200 रुपये प्रति क्विंटल करने का आवेदन खारिज: आईजेएमए

कच्चे जूट की कीमत संशोधित कर 7200 रुपये प्रति क्विंटल करने का आवेदन खारिज: आईजेएमए

कच्चे जूट की कीमत संशोधित कर 7200 रुपये प्रति क्विंटल करने का आवेदन खारिज: आईजेएमए
Modified Date: November 29, 2022 / 08:55 pm IST
Published Date: December 16, 2021 9:36 pm IST

कोलकाता, 16 दिसंबर (भाषा) केंद्र ने अनाज रखने के लिए बोरी बनाने हेतु जूट मिलों के मौजूदा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कीमत के अनुरूप कच्चे जूट के मूल्य को संशोधित कर 7200 रुपये प्रति क्विंटल करने के अनुरोध को ठुकरा दिया है। जूट मिलों के संघ आईजेएमए के अध्यक्ष राघवेंद्र गुप्ता ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। एक मिल मालिक ने कहा कि इससे पर्यावरण अनुकूल बोरी की आपूर्ति में कमी आ सकती है क्योंकि किसान अधिक उत्पादन करने के लिए हतोत्साहित हो सकते हैं। भारतीय जूट मिल संघ (आईजेएमए) के प्रतिनिधियों ने हाल ही में केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल से पश्चिम बंगाल के दो भाजपा सांसदों की उपस्थिति में मुलाकात की और मंत्री से जूट आयुक्त द्वारा निर्धारित सीलिंग प्राइस (उच्चतम मूल्य सीमा) – 6500 रुपये प्रति क्विंटल – को बढ़ाये जाने पर विचार करने का अनुरोध किया। .

गुप्ता ने पीटीआई-भाषा को बताया, “मंत्री ने कच्चे जूट के उचित मूल्य को संशोधित करने से इनकार कर दिया और जूट आयुक्त द्वारा निर्धारित मूल्य को बरकरार रखा।’’ कुछ मिलों ने दावा किया कि पिछले दो महीनों से, मिलें 7200 रुपये प्रति क्विंटल पर कच्चा जूट खरीद कर उत्पादन जारी रखे थे और उन्हें उम्मीद थी कि सरकार इसकी उचित कीमत में संशोधन करेगी। आईजेएमए ने वर्ष 2021-22 के मौजूदा फसल सत्र के लिए प्रति माह कच्चाजूट के 2.5 लाख गांठ की आपूर्ति करने का वादा किया था। हालांकि, अंशधारकों ने दावा किया कि इस व्यवसाय की अर्थव्यवस्था दोनों ही तरह से प्रभावित होगी। सूत्रों ने कहा, “अगर कच्चे जूट की कीमत 6500 रुपये प्रति क्विंटल तक कम हो जाती है, तो मिलें मांग के मुताबिक उत्पादन करेंगी लेकिन किसानों की कीमत वसूली को नुकसान होगा और उच्च उत्पादन को हतोत्साहित करेगा। और अगर कीमतें कम नहीं होती हैं, तो उत्पादन को नुकसान होगा और राज्यों को पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग बैग की कमी का सामना करना पड़ेगा।’’ भाषा राजेश राजेश रमणरमण

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