नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि ईएफटीए समूह की तरफ से जताई गई 100 अरब डॉलर की निवेश प्रतिबद्धता भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र में 400-500 अरब डॉलर के निवेश प्रस्तावों को लाने में मदद कर सकती है।
उन्होंने कहा कि आधिकारिक तौर पर व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (टीईपीए) कहे जाने वाले इस समझौते के इस साल के अंत तक लागू होने की उम्मीद है।
यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के सदस्य देशों में आइसलैंड, लीश्टेंस्टाइन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड शामिल हैं।
गोयल यहां ईएफटीए के लिए समर्पित डेस्क का उद्धाटन करने के बाद बोल रहे थे। इस अवसर पर स्विट्जरलैंड की आर्थिक सचिव हेलेन बुडलिगर आर्टिडा, नॉर्वे के व्यापार एवं उद्योग सचिव टॉमस नॉर्वल, आइसलैंड के स्थायी सचिव मार्टिन इजॉफसन और लीश्टेंटाइन के विदेश मंत्री डोमिनिक हस्लर भी मौजूद थे।
गोयल ने कहा, ‘‘इस समूह से मिली 100 अरब डॉलर की निवेश प्रतिबद्धता के साथ मेरी निजी राय है कि इसके दम पर भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र में 400 या 500 अरब डॉलर का समग्र निवेश लाया जा सकता है।’’
ईएफटीए डेस्क भारत में कारोबार बढ़ाने की इच्छुक ईएफटीए कंपनियों के लिए एक केंद्रीकृत समर्थन तंत्र के रूप में कार्य करेगा। यह डेस्क बाजार की अंतर्दृष्टि एवं नियामकीय मार्गदर्शन, कारोबार मिलान और भारत की नीति एवं निवेश परिदृश्य को समझने में मदद करेगा।
ईएफटीए समझौते के तहत भारत को समूह से 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर की निवेश प्रतिबद्धता मिली है। इसमें स्विस घड़ियों, चॉकलेट और कटे एवं पॉलिश किए गए हीरे पर कम या शून्य शुल्क लगाने का भी प्रावधान है। इस भारी निवेश से भारत में करीब 10 लाख रोजगार पैदा होने का अनुमान है।
गोयल ने कहा, ‘‘समूह के चारों सदस्य देशों में समझौते की पुष्टि के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं और हमें उम्मीद है कि इस साल के उत्तरार्ध में टीईपीए लागू हो जाएगा।’’
उन्होंने यह भी कहा कि समझौते के अनुरूप 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 50-60 लाख रोजगार अवसरों का सृजन हो सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत ने ईएफटीए देशों को राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम लिमिटेड (एनआईसीडीसी) द्वारा विकसित किए जा रहे 20 औद्योगिक स्मार्ट शहरों या बजट में घोषित 100 औद्योगिक हब एवं स्पोक मॉडल क्षेत्रों में समर्पित एन्क्लेव बनाने का अवसर दिया है।
उन्होंने कहा कि इस संभावना पर भी गौर किया जा रहा है कि क्या कोई औद्योगिक पार्क उनके संबंधित देशों की कंपनियों को समर्पित किया जा सकता है।
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प्रेम अजय
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