कोविड बाद की दुनिया में घरेलू आईटी कंपनियों के लिये वर्ष 2000 जैसी स्थिति: चंद्रशेखर

कोविड बाद की दुनिया में घरेलू आईटी कंपनियों के लिये वर्ष 2000 जैसी स्थिति: चंद्रशेखर

कोविड बाद की दुनिया में घरेलू आईटी कंपनियों के लिये वर्ष 2000 जैसी स्थिति: चंद्रशेखर
Modified Date: November 29, 2022 / 08:35 pm IST
Published Date: September 29, 2021 5:43 pm IST

नयी दिल्ली, 29 सितंबर (भाषा) इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बुधवार को कहा कि कोविड महामारी के बाद की देश की आईटी कंपनियों के लिये ‘वाई2के’ (वर्ष 2000) की स्थिति पैदा कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग को कौशल से जुड़ी चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जरूरत है ताकि उपलब्ध व्यापक अवसरों का उपयोग सुनिश्चित हो सके।

मंत्री ने यह भी जिक्र किया देश में कैसे वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद की और भारत को अपने मंचों तथा समाधानों के जरिये महत्वपूर्ण स्थिति में पहुंचाया है।

वैश्विक फिनटेक महोत्सव (जीएफएफ) 2021 में चंद्रशेखर ने कहा कि आईटी उद्योग को कौशल विकास के क्षेत्र में कुछ और पूंजी निवेश की जरूरत है।

 ⁠

उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया ने नाटकीय रूप से डिजिटलीकरण की तीव्र गति को बदल दिया है, इसमें तेजी आयी है। इसलिए डिजिटलीकरण और प्रतिभा की मांग भी बढ़ी है …हमें यह देखना चाहिए कि हम कोविड के बाद की स्थिति में हैं और यह भारतीय प्रोद्योगिकी क्षेत्र के लिये वाई2के जैसा क्षण है।’’

मंत्री ने कहा, ‘‘हम वृद्धि के अवसरों के मामले में एक अभूतपूर्व मोड़ पर हैं। अगर हम जल्दी से कदम नहीं उठाते हैं, तो कोई और इसका लाभ उठा ले जाएगा।’’

वाई2के के बाद भारत प्रतिस्पर्धी मूल्य और बेहतर प्रतिभा के साथ विश्वस्तर पर उद्यमों के लिए सबसे बड़े आईटी गंतव्यों में से एक बन गया।

चंद्रशेखर ने कहा कि कौशल और प्रतिभा निर्माण की दिशा में दृष्टिकोण बदलते परिदृश्य और उद्योग के हिसाब से होना चाहिए। सरकार ने देशभर में प्रशिक्षण केंद्रों का एक नेटवर्क बनाकर इस दिशा में कदम उठाया है।

उन्होंने कहा, ‘‘…मुझे लगता है कि उद्योग और उद्योग संगठनों को इस दिशा में कदम बढ़ाना होगा। खासकर कोविड के बाद इस संदर्भ में बहुत कुछ करने की जरूरत है। हम प्रशिक्षण और कौशल विकास को लेकर 100 प्रतिशत प्रतिबद्ध हैं…उद्योग को अवसरों का उपयोग करने की जरूरत है और कौशल विकास को बड़ी चुनौती के रूप में देखते हुए उन्हें इस दिशा में बड़ी भूमिका निभानी है।

वित्तीय प्रौद्योगिकी का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि इससे वित्तीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आया है और यह वित्तीय अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बन गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे उद्यमिता, नवप्रवर्तन और रोजगार के अवसर बढ़े हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस क्षेत्र में घरेलू और विदेशी निवेश बड़े स्तर पर हो रहे हैं। यह यूनिकार्न (एक अरब डॉलर मूल्यांकन वाले स्टार्टअप), महत्वाकांक्षी और विश्वास से भरे उद्यमी बना रहा है जो मंचों तथा अपने समाधानों के जरिये दुनिया में धाक जमा रहे हैं।’’

भाषा रमण अजय

अजय


लेखक के बारे में