कोलकाता, 19 सितंबर (भाषा) जूट उद्योग विभिन्न राज्यों से खाद्यान्न के लिए पैकेजिंग सामग्री की मांग घटने से चिंतित है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नवंबर तक तीन माह की अवधि के दौरान विभिन्न राज्यों से खाद्यान्न के लिए पैकेजिंग सामग्री की मांग घटना एक बड़ी चिंता का विषय है, जिससे जूट उद्योग को उत्पादन में 30 से 50 प्रतिशत तक की कटौती करनी पड़ सकती है।
भारतीय जूट मिल संघ (आईजेएमए) ने केंद्र से खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा जारी छठी (संशोधित) आपूर्ति योजना में संशोधन की अपील की है।
खाद्यान्न उत्पादकों को एक निश्चित सीमा तक पैकेजिंग सामग्री के रूप में जूट का उपयोग करना पड़ता है।
आईजेएमए के अध्यक्ष राघव गुप्ता ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘सितंबर से नवंबर, 2023 तक चालू जूट सत्र में वास्तविक मांग 30 से 40 प्रतिशत कम है। सितंबर में ही मांग 2.5 लाख गांठ रहने का अनुमान है जबकि अनुमान 3.21 लाख गांठ का था। इसका कारण महाराष्ट्र से मांग कम होना है।’’
उन्होंने कहा कि अक्टूबर और नवंबर के लिए मांग दो लाख गांठ से अधिक के अनुमान के मुकाबले लगभग 1.48 लाख गांठ रहने की संभावना है।
गुप्ता ने कहा, ‘‘यदि मांग में सुधार नहीं आता है, तो क्षमता इस्तेमाल के संदर्भ में हमारे उत्पादन में कटौती 30-50 प्रतिशत तक होगी।’’
आईजेएमए ने सरकार को अपनी प्रस्तुति में दावा किया है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अक्टूबर और नवंबर के लिए अचानक रद्द किए गए मांग पत्र से उद्योग को गंभीर झटका लगा है।
आईजेएमए के पूर्व अध्यक्ष संजय कजारिया ने कहा कि जूट मिलों में कम क्षमता उपयोग के परिणामस्वरूप निर्माताओं ने उत्पादन में कटौती शुरू कर दी है। इससे कच्चे जूट की कीमत पर प्रभाव पड़ सकता है, जो वर्तमान में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के स्तर से नीचे चल रही है।
उन्होंने कहा कि कच्चे जूट की कीमतों में अस्थिरता किसानों के लिए खतरा पैदा करती है। इससे उन्हें उनकी उपज खासकर आगामी नई जूट की फसल के लिए पर्याप्त दाम नहीं मिलेंगे।
भाषा राजेश राजेश अजय
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