इस्पात क्षेत्र के लिए कोकिंग कोयले पर निर्भरता, स्क्रैप की कमी बड़ी चुनौतियांः रिपोर्ट

इस्पात क्षेत्र के लिए कोकिंग कोयले पर निर्भरता, स्क्रैप की कमी बड़ी चुनौतियांः रिपोर्ट

इस्पात क्षेत्र के लिए कोकिंग कोयले पर निर्भरता, स्क्रैप की कमी बड़ी चुनौतियांः रिपोर्ट
Modified Date: June 26, 2025 / 03:22 pm IST
Published Date: June 26, 2025 3:22 pm IST

नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) महत्वाकांक्षी उत्पादन क्षमता हासिल करने की कोशिशों में जुटे भारतीय इस्पात क्षेत्र को आयातित कोकिंग कोयले पर अधिक निर्भरता और इस्पात स्क्रैप की सीमित उपलब्धता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

देश के बुनियादी ढांचे और विनिर्माण पारिस्थितिकी की रीढ़ माना जाने वाला इस्पात उद्योग वित्त वर्ष 2030-31 तक 30 करोड़ टन सालाना कच्चे इस्पात की क्षमता हासिल करने के सरकार के लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ा रहा है।

एमपी फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेज ने एक बयान में कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2024-25 तक भारतीय इस्पात उद्योग ने 20.5 करोड़ टन प्रतिवर्ष की स्थापित क्षमता हासिल कर ली है। इसके बाद प्रमुख इस्पात कंपनियां 2031 तक 16.7 करोड़ टन प्रतिवर्ष की क्षमता विस्तार करने की तैयारी में हैं।’’

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हालांकि, इस्पात क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें लौह अयस्क के शुद्धीकरण की जरूरत, आयातित कोकिंग कोयले पर 85 प्रतिशत निर्भरता, इस्पात स्क्रैप (कबाड़) की सीमित उपलब्धता और इस्पात बनाने की प्रक्रिया में उच्च कार्बन उत्सर्जन शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन से कम लागत वाले आयात, यूरोपीय संघ में लगे सुरक्षा शुल्क और संभावित कार्बन शुल्क जैसी बाधाएं भी घरेलू इस्पात उद्योग के विकास के लिए जोखिम बढ़ा रही हैं।

इसने कहा कि नई इस्पात परियोजनाओं के लिए मंजूरी में अधिक समय लगने और सबसे बड़े इस्पात उत्पादक चीन की तुलना में वित्तपोषण की लागत ऊंची रहने से भी कई समस्याएं पैदा हो रही हैं।

हालांकि, रिपोर्ट कहती है कि इस्पात क्षमता के लक्ष्य को बहुआयामी रणनीति के जरिये हासिल किया जा सकता है। यह हरित और मूल्यवर्धित इस्पात में त्वरित निवेश, बुनियादी ढांचे एवं कच्चे माल के बीच के संबंध में सुधार, स्वच्छ प्रौद्योगिकी को अपनाना, वित्तपोषण एवं अनुमोदन के लिए नीतिगत सुधार और मजबूत सार्वजनिक-निजी निष्पादन मॉडल पर निर्भर करेगा।

एमपी फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेज के संस्थापक और प्रबंध साझेदार महेंद्र पाटिल ने कहा, ‘‘नवाचार एवं टिकाऊपन के सहारे संसाधन, नीति और व्यापार चुनौतियों पर काबू पाना भारत को हरित एवं विशिष्ट इस्पात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के लिए महत्वपूर्ण होगा।’’

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय


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