नयी दिल्ली, 28 दिसंबर (भाषा) सन फार्मा के प्रबंध निदेशक कीर्ति गणोरकर ने कहा कि आने वाले कुछ वर्षों में मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियों की दवाएं घरेलू दवा उद्योग की वृद्धि का एक प्रमुख आधार होगी।
ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1 (जीएलपी-1) रिसेप्टर एगोनिस्ट ऐसी दवाएं हैं, जो इंसुलिन के उत्पादन को नियंत्रित कर टाइप-2 मधुमेह, उच्च रक्त शर्करा और मोटापे के इलाज में उपयोग की जाती हैं।
भारत अब मोटापे से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते बोझ के बीच वैश्विक वजन प्रबंधन उद्योग का एक प्रमुख केंद्र बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
गणोरकर ने कहा, ”आने वाले वर्षों में जीएलपी-1 उपचारों तक बेहतर पहुंच भारतीय दवा उद्योग के लिए एक अहम प्रेरक होगी, जो मोटापा और मधुमेह जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते बोझ से निपटने में मदद करेगी।”
उन्होंने कहा कि शुरुआती बीमारी पहचान और निगरानी के लिए एआई आधारित डिजिटल समाधान और व्यक्तिगत चिकित्सा विकल्पों के साथ मिलकर उद्योग नवाचार को आगे बढ़ाता रहेगा।
डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के चेयरमैन सतीश रेड्डी ने कहा कि जोखिम पूंजी को अधिक सुलभ बनाकर भारत को दुनिया के दवा नवाचार केंद्र के रूप में बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत 2026 में प्रवेश कर रहा है और नवाचार अगले चरण की वृद्धि को परिभाषित करने वाली शक्ति के रूप में उभर रहा है।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक उत्कृष्टता, नियामकीय लचीलापन और सहयोगात्मक नवाचार पर जोर जारी रहेगा, जिससे एक विश्वसनीय वैश्विक भागीदार के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत होगी।
भाषा पाण्डेय
पाण्डेय