नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) कोटा व्यवस्था के तहत सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का शुल्क-मुक्त आयात बढ़ने से पिछले तीन महीनों में भारी आयात होने के बीच दिल्ली तेल तिलहन बाजार में शनिवार को सभी खाद्यतेल तिलहनों के भाव भारी दबाव में रहे लेकिन कीमतें पूर्वस्तर पर ही बंद हुईं।
तेल तिलहनों के भाव ऊंचे स्तर पर बोले जा रहे हैं लेकिन ऊंची कीमतों पर लिवाल नहीं होने से सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन, सीपीओ, बिनौला और पामोलीन तेल की कीमतें पूर्वस्तर पर बनी रहीं।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि शुल्क-मुक्त आयात की कोटा व्यवस्था के तहत जनवरी महीने में 4.62 हजार टन सूरजमुखी तेल का आयात किया गया जबकि फरवरी महीने में सूरजमुखी तेल का आयात 1.56 लाख टन का हुआ है। इसी कोटा व्यवस्था के तहत 31 मार्च तक करीब 10 लाख टन सूरजमुखी (सात लाख टन) और सोयाबीन (करीब 3 लाख टन) का आयात होना है।
सूत्रों ने कहा कि इतनी भारी मात्रा में किया गया आयात अगले चार महीनों की जरुरतों को पूरा करने के लिए काफी है। मुश्किल यह है कि यह आयात ऐसे समय में हुआ है जब सरसों की फसल बाजार में आने लगी है और अक्ट्रबर की सोयाबीन पैदावार का स्टॉक इतना अधिक बचा है कि वह बाजार में खप नहीं रहा है क्योंकि काफी सस्ते में आयातित तेल आसानी से उपलब्ध हैं।
सूत्रों ने कहा कि देश की खाद्यतेल पेराई मिलें इस व्यस्त माने जाने वाले समय में भी अपनी क्षमता का 25 प्रतिशत ही उपयोग कर पा रही हैं। सरसों, सोयाबीन और बिनौला जैसे देशी तिलहनों की बाजार में खपत नहीं होने से खाद्यतेल कारोबारी और तेल मिलों ने जो बैंकों से कर्ज ले रखा है उसे लौटा पाना मुश्किल होता जा रहा है। इस तरह बैंकों का कर्ज डूबने का खतरा भी बढ़ रहा है। सूरजमुखी तेल का भाव लगभग 10 महीने पहले के 200 रुपये लीटर से घटकर देश के बंदरगाह पर मात्र 73-74 रुपये प्रति लीटर रह गया है। ऐसे में अधिक लागत वाली देशी तिलहनों का खपना मुश्किल है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को तत्काल सीमा शुल्क या आयात शुल्क बढ़ाने के बारे में कोई फैसला करना होगा। इस फैसले में देरी देशी तेल तिलहन उद्योग और किसानों के लिए भारी नुकसानदेह साबित हो सकती है। लेकिन खाद्यतेलों के दाम टूटने का लाभ उपभोक्ताओं को अभी भी नहीं मिल पा रहा है।
प्रमुख तेल संगठन सोपा ने भी सरकार से मांग की है कि पिछले कुछ महीनों में सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के दाम में भारी गिरावट आई है और उसने देशी तिलहन किसानों के हित में सरकार से सस्ते आयातित खाद्यतेलों पर सीमा शुल्क कम से कम 20 प्रतिशत करने की मांग की है।
शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,220-5,270 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,765-6,825 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,580 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,530-2,795 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,680-1,750 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,680-1,800 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,205-5,355 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,965-5,015 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश प्रेम
प्रेम
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